धूल Poetry (page 3)

चाँदनी को रसूल कहता हूँ

साग़र सिद्दीक़ी

तिनका

सईदुद्दीन

दामन से अपने झाड़ के सहरा-ए-ग़म की धूल

रज़ा अश्क

गली गली में तकल्लुफ़ की धूल होती है

रौनक़ नईम

अँधेरों में उजाले खो रहे हैं

रासिख़ इरफ़ानी

नज़र में धूल फ़ज़ा में ग़ुबार चारों तरफ़

राशिद अनवर राशिद

राह में क़दमों से जो लिपटी सफ़र की धूल थी

रशीद अफ़रोज़

दीवाना कर के मुझ को तमाशा किया बहुत

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

हर जाद-ए-शहर

राजेन्द्र मनचंदा बानी

पड़ी रहेगी अगर ग़म की धूल शाख़ों पर

राजेन्द्र नाथ रहबर

फूल और काँटा

राजा मेहदी अली ख़ाँ

फ़ज़ा मलूल थी मैं ने फ़ज़ा से कुछ न कहा

रईस फ़रोग़

आँखों के कश्कोल शिकस्ता हो जाएँगे शाम को

रईस फ़रोग़

हस्ब-ए-मामूल आए हैं शाख़ों में फूल अब के बरस

इक़बाल माहिर

ये ख़ुश्क लब ये पाँव के छाले ये सर की धूल

इक़बाल हैदर

जो तेरे दर्द हैं वही सब मेरे दर्द हैं

इक़बाल हैदर

जी चाहता है शैख़ की पगड़ी उतारिए

इंशा अल्लाह ख़ान

ये ग़लत है ये साल ठीक नहीं

इमरान शमशाद

ख़्वाजा-सरा

इलियास बाबर आवान

अभी छुटी नहीं जन्नत की धूल पाँव से

इफ़्तिख़ार मुग़ल

सवाद-ए-हिज्र में रक्खा हुआ दिया हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

धुँद

इफ़्तेख़ार जालिब

बन-बास

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शिकस्ता-पर जुनूँ को आज़माएँगे नहीं क्या

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शौक़

इफ़्तिख़ार आज़मी

वो शहर इत्तिफ़ाक़ से नहीं मिला

इदरीस बाबर

एक दिन ख़्वाब-नगर जाना है

इदरीस बाबर

देख हमारे माथे पर ये दश्त-ए-तलब की धूल मियाँ

इब्न-ए-इंशा

मैं ख़ाल-ओ-ख़द का सरापा तसव्वुरात में था

हयात लखनवी

ख़ुर्शीद की निगाह से शबनम को आस क्या

हसन नईम

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