धूप Poetry (page 7)

कोई है बाम पर देखा तो जाए

तारिक़ मतीन

मैं बाम-ओ-दर पे जो अब साएँ साएँ लिखता हूँ

तारिक़ जामी

मैं बाम-ओ-दर पे जो अब साएँ साएँ लिखता हूँ

तारिक़ जामी

ग़मों की धूप में बरगद की छाँव जैसी है

तनवीर सिप्रा

जान के एवज़

तनवीर अंजुम

इंतिज़ार

तनवीर अंजुम

मुझ को दिमाग़-ए-गर्मी-ए-बाज़ार है कहाँ

तालिब चकवाली

कट गई उम्र यही एक तमन्ना करते

तल्हा रिज़वी बारक़

खिड़की में एक नार जो महव-ए-ख़याल है

ताज सईद

कहीं ख़ुलूस की ख़ुशबू मिले तो रुक जाऊँ

ताहिर फ़राज़

लब-ए-मंतिक़ रहे कोई न चश्म-लन-तरानी हो

तफ़ज़ील अहमद

इक परेशानी अलग थी और पशेमानी अलग

तफ़ज़ील अहमद

बे-घरी

ताबिश कमाल

'ताबिश' हवस-ए-लज़्ज़त-ए-आज़ार कहाँ तक

ताबिश देहलवी

मंज़िलों को नज़र में रक्खा है

ताबिश देहलवी

वो साहिल-ए-शब पे सो गई थी

तबस्सुम काश्मीरी

उस रोज़ तुम कहाँ थे

तबस्सुम काश्मीरी

ख़्वाहिशें और ख़ून

तबस्सुम काश्मीरी

सू-ए-दयार ख़ंदा-ज़न वो यार-ए-जानी फिर गया

तअशशुक़ लखनवी

यूँ तो इख़्लास में इस के कोई धोका भी नहीं

सय्यदा शान-ए-मेराज

ये शबनम फूल तारे चाँदनी में अक्स किस का है

सय्यद शकील दस्नवी

ईद की अचकन

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

आदमी

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

जो हो सके तो आप भी कुछ कर दिखाइए

सय्यद फ़ज़लुल मतीन

वजूद को जिगर-ए-मो'तबर बनाते हैं

सय्यद अमीन अशरफ़

वो दश्त-ए-तीरगी है कि कोई सदा न दे

सय्यद अहमद शमीम

उतर के धूप जब आएगी शब के ज़ीने से

सय्यद अहमद शमीम

एक जग बीत गया झूम के आए बादल

सय्यद अहमद शमीम

दिन ढला शाम हुई फूल कहीं लहराए

सय्यद आबिद अली आबिद

ये धूप गिरी है जो मिरे लॉन में आ कर

स्वप्निल तिवारी

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