दुख Poetry (page 7)

आँखें दो जुडवाँ बहनें

सारा शगुफ़्ता

हमल-सरा

साक़ी फ़ारुक़ी

ज़िंदा रहने के तज़्किरे हैं बहुत

साक़ी फ़ारुक़ी

वो दुख जो सोए हुए हैं उन्हें जगा दूँगा

साक़ी फ़ारुक़ी

ख़ामुशी छेड़ रही है कोई नौहा अपना

साक़ी फ़ारुक़ी

मुझ को क्या क्या न दुख मिले 'साक़ी'

साक़ी अमरोहवी

ज़िंदगी भर मैं सरगिरानी से

साक़ी अमरोहवी

जाने कैसे होंगे आँसू बहते हैं तो बहने दो

सलीम रज़ा रीवा

सफ़र की इब्तिदा हुई कि तेरा ध्यान आ गया

सलीम कौसर

बदल गया है सभी कुछ उस एक साअत में

सलीम कौसर

अभी हैरत ज़ियादा और उजाला कम रहेगा

सलीम कौसर

पड़ा हुआ मैं किसी आइने के घर में हूँ

सलीम बेताब

आँखें

सलीम अहमद

कल नशात-ए-क़ुर्ब से मौसम बहार-अंदाज़ा था

सलीम अहमद

बजा ये रौनक़-ए-महफ़िल मगर कहाँ हैं वो लोग

सलीम अहमद

पहले चादर की हवस में पाँव फैलाए बहुत

सज्जाद बाक़र रिज़वी

जुर्म-ए-इज़हार-ए-तमन्ना आँख के सर आ गया

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दुनिया दुनिया सैर सफ़र थी शौक़ की राह तमाम हुई

सज्जाद बाक़र रिज़वी

दिल की बिसात पे शाह प्यादे कितनी बार उतारोगे

सज्जाद बाक़र रिज़वी

यूँ जुदा हुए मेरे दर्द-आश्ना मुझ से

सज्जाद बलूच

नया रौशन सहीफ़ा दिख रहा नईं

साजिद हमीद

सीने की आग आतिश-ए-महशर हो जिस तरह

सैफ़ ज़ुल्फ़ी

बस अब तो दामन-ए-दिल छोड़ दो बेकार उम्मीदो

साहिर लुधियानवी

वो सुब्ह कभी तो आएगी

साहिर लुधियानवी

उमीद

साहिर लुधियानवी

मेरे गीत तुम्हारे हैं

साहिर लुधियानवी

मैं नहीं तो क्या

साहिर लुधियानवी

किसी को उदास देख कर

साहिर लुधियानवी

तुम अपना रंज-ओ-ग़म अपनी परेशानी मुझे दे दो

साहिर लुधियानवी

मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने

साहिर लुधियानवी

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