सीने की आग आतिश-ए-महशर हो जिस तरह

सीने की आग आतिश-ए-महशर हो जिस तरह

यूँ मौजज़न है ग़म कि समुंदर हो जिस तरह

ज़ख़्मों से यूँ है जिस्म की दीवार ज़ौ-फ़गन

शोलों का रक़्स शाख़-ए-शजर पर हो जिस तरह

बादल का शोर हाँपते पेड़ों की बेबसी

यूँ देखता हूँ मेरे ही अंदर हो जिस तरह

उड़ते हुए ग़ुबार में आँखों का दश्त भी

कुछ यूँ लगा कि ख़ुश्क समुंदर हो जिस तरह

बस्ती के एक मोड़ पे बरसों से इक खंडर

यूँ नौहागर है मेरा मुक़द्दर हो जिस तरह

वीरानियों का किस से गिला कीजिए कि दिल

इतना उदास है कि लुटा घर हो जिस तरह

सुख की उगी न धूप न दुख की मिटी लकीर

यूँ है मिरा नसीब कि पत्थर हो जिस तरह

एहसास में शदीद तलातुम के बावजूद

चुप हूँ मुझे सुकून मयस्सर हो जिस तरह

यूँ हसरतों के ख़ूँ की महक में बसा है दिल

मेहंदी-रचा वो हात मोअत्तर हो जिस तरह

प्यासा हूँ पास है वो चमकता हुआ बदन

यूँ हात काँपता है कोई डर हो जिस तरह

पत्थर न जान तुझ को दिखाऊँगा आब-ओ-ताब

यूँ क़ैद हूँ कि सीप में गौहर हो जिस तरह

'ज़ुल्फ़ी' को खींचो! दार पे दीवार में चुनो

सच बोलता है यूँ कि पयम्बर हो जिस तरह

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In Hindi By Famous Poet Saif Zulfi. is written by Saif Zulfi. Complete Poem in Hindi by Saif Zulfi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.