पूजा Poetry (page 5)

सौदा-गरी नहीं ये इबादत ख़ुदा की है

अल्लामा इक़बाल

मजनूँ ने शहर छोड़ा तो सहरा भी छोड़ दे

अल्लामा इक़बाल

जुनूँ में दामन-ए-दिल गरचे तार तार हुआ

अलीना इतरत

रहता है इबादत में हमें मौत का खटका

अकबर इलाहाबादी

मज़हब का हो क्यूँकर इल्म-ओ-अमल दिल ही नहीं भाई एक तरफ़

अकबर इलाहाबादी

जब तक ग़ुबार-ए-राह मिरा हम-सफ़र रहा

अहमद शाहिद ख़ाँ

मैं तो मस्जिद से चला था किसी काबा की तरफ़

अहमद राही

सफ़र और हम-सफ़र

अहमद नदीम क़ासमी

तन्हाई से बचाव की सूरत नहीं करूँ

अहमद कमाल परवाज़ी

हर कोई दिल की हथेली पे है सहरा रक्खे

अहमद फ़राज़

ख़्वाब का इज़्न था ता'बीर-ए-इजाज़त थी मुझे

अहमद अता

नग़्मा-ए-इश्क़-ए-बुताँ और ज़रा आहिस्ता

अदीब सहारनपुरी

क्यूँ

अदा जाफ़री

आगे हरीम-ए-ग़म से कोई रास्ता न था

अदा जाफ़री

तवाफ़-ए-काबा-ए-दिल कर नियाज़-ओ-ख़ाकसारी सीं

आबरू शाह मुबारक

सैर-ए-बहार-ए-हुस्न ही अँखियों का काम जान

आबरू शाह मुबारक

कौन कहता है कि वहशत मिरे काम आई है

आबिद मलिक

ये इम्तियाज़ ज़रूरी है अब इबादत में

अभिषेक शुक्ला

दर-ए-ख़याल भी खोलें सियाह शब भी करें

अभिषेक शुक्ला

दोस्तो ज़िंदगी अमानत है

अब्दुल मन्नान समदी

आवाज़ के मोती

अब्दुल अहद साज़

ऐसे तो कोई तर्क सुकूनत नहीं करता

अब्बास ताबिश

ज़र्फ़ से बढ़ के हो इतना नहीं माँगा जाता

अब्बास दाना

अक़्ल-ओ-दानिश को ज़माने से छुपा रक्खा है

अब्बास दाना

अपने ही ख़ून से इस तरह अदावत मत कर

अब्बास दाना

वफ़ा और इश्क़ के रिश्ते बड़े ख़ुश-रंग होते हैं

आज़िम कोहली

तुम्हें गिला ही सही हम तमाशा करते हैं

आतिफ़ कमाल राना

आवारा परछाइयाँ

आशुफ़्ता चंगेज़ी

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