रोटेशन Poetry (page 10)

इंतिबाह

इफ़्तिख़ार आरिफ़

बद-शुगूनी

इफ़्तिख़ार आरिफ़

शहर-ए-गुल के ख़स-ओ-ख़ाशाक से ख़ौफ़ आता है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सजल कि शोर ज़मीनों में आशियाना करे

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

है ये मर मिटने का इनआ'म तुम्हें क्या मा'लूम

इफ़्फ़त अब्बास

शीशे का आदमी हूँ मिरी ज़िंदगी है क्या

इब्राहीम अश्क

वक़्त गर्दिश में ब-अंदाज़-ए-दिगर है कि जो था

हुरमतुल इकराम

ये शहर-ए-रफ़ीक़ाँ है दिल-ए-ज़ार सँभल के

हिमायत अली शाएर

इस शहर-ए-ख़ुफ़्तगाँ में कोई तो अज़ान दे

हिमायत अली शाएर

फिर अँधेरी राह में कोई दिया मिल जाएगा

हिदायतुल्लाह ख़ान शम्सी

मेरी हस्ती में मिरी ज़ीस्त में शामिल होना

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में नहीं कोई गुज़र की सूरत

हीरा लाल फ़लक देहलवी

कू-ए-जानाँ में अदा देखिए दीवानों की

हीरा लाल फ़लक देहलवी

बुतों का ज़िक्र करो वाइज़ ख़ुदा को किस ने देखा है

हातिम अली मेहर

बद-गुमाँ आप हैं क्यूँ आप से शिकवा है किसे

हसरत मोहानी

शो'ला ही सही आग लगाने के लिए आ

हसरत जयपुरी

वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया

हसीब सोज़

यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है

हसीब सोज़

वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया

हसीब सोज़

ख़्वाब ठहरा सर-ए-मंज़िल न तह-ए-बाम कभी

हसन नईम

ख़्वाब की राह में आए न दर-ओ-बाम कभी

हसन नईम

इश्क़ को पास-ए-वफ़ा आज भी करते देखा

हसन नज्मी सिकन्दरपुरी

तख़लीक़-ए-बे-सबात का ज़र्रा-नज़ीर हूँ

हक़ीर जहानी

सैद को रश्क-ए-चमन दाम ने रहने न दिया

हक़ीर जहानी

सिमटती शाम अगर दर्द को जगाएगी

हनीफ़ तरीन

ये फ़ज़ा-ए-नील-गूँ ये बाल-ओ-पर काफ़ी नहीं

हनीफ़ फ़ौक़

मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी

हकीम नासिर

मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी

हकीम नासिर

सारे मामूलात में इक ताज़ा गर्दिश चाहिए

हकीम मंज़ूर

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