रोटेशन Poetry (page 9)

तुझ से वहशत में भी ग़ाफ़िल कब तिरा दीवाना था

रशीद रामपुरी

मैं ने काग़ज़ पे सजाए हैं जो ताबूत न खोल

रशीद क़ैसरानी

बाग़ में जुगनू चमकते हैं जो प्यारे रात को

रशीद लखनवी

है लेकिन अजनबी ऐसा नहीं है

रसा चुग़ताई

इस डर से इशारा न किया होंट न खोले

राम रियाज़

रक़्स-ए-शबाब-ओ-रंग-ए-बहाराँ नज़र में है

राम कृष्ण मुज़्तर

क़सीदा फ़त्ह का दुश्मन की तलवारों पे लिक्खा है

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

क़फ़स पे बर्क़ गिरे और चमन को आग लगे

राम अवतार गुप्ता मुज़्तर

फिर उन की निगाहों के पयाम आए हुए हैं

राज कुमार सूरी नदीम

'नदीम' उन की ज़बाँ पर फिर हमारा नाम है शायद

राज कुमार सूरी नदीम

हम गर्दिश-ए-दौराँ के सितम देख रहे हैं

राज कुमार सूरी नदीम

नवा-ए-दिल ने करिश्मे दिखाए हैं क्या क्या

राज कुमार क़ैस

'रईस' हम जो सू-ए-कूचा-ए-हबीब चले

रईस अमरोहवी

दीदनी है बहार का मंज़र

रईस अमरोहवी

तल्ख़ी-ए-ग़म का जो है मुकम्मल जवाब ला

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

क्यूँ न हम याद किसी को सहर-ओ-शाम करें

रहमत इलाही बर्क़ आज़मी

बे-नाम सी ख़लिश कि जो दिल में जिगर में है

राही शहाबी

सुनो तो आरिज़ा-ए-इख़तिलाज रहने दो

राही फ़िदाई

'इक़बाल' यूँही कब तक हम क़ैद-ए-अना काटें

इक़बाल कौसर

मुझ पर निगाह-ए-गर्दिश-ए-दौराँ नहीं रही

इक़बाल आबिदी

काम आ गई है गर्दिश-ए-दौराँ कभी कभी

इक़बाल आबिदी

नादाँ कहाँ तरब का सर-अंजाम और इश्क़

इंशा अल्लाह ख़ान

कमर बाँधे हुए चलने को याँ सब यार बैठे हैं

इंशा अल्लाह ख़ान

किसी के वास्ते क्या क्या हमें दुख झेलने होंगे

इम्दाद हमदानी

महबूब-ए-ख़ुदा ने तुझे नायाब बनाया

इमदाद अली बहर

हिर-फिर के दाएरे ही में रखता हूँ मैं क़दम

इमाम बख़्श नासिख़

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

शत्तुल-अरब

इलियास बाबर आवान

चूमता पानी, पानी पानी

इफ़्तेख़ार जालिब

रविश में गर्दिश-ए-सय्यारगाँ से अच्छी है

इफ़्तिख़ार आरिफ़

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