वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया
लिबास पहने रहा और बदन उतार गया
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यहाँ मज़बूत से मज़बूत लोहा टूट जाता है
दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकला
बड़े हिसाब से इज़्ज़त बचानी पड़ती है
हमारे दोस्तों में कोई दुश्मन हो भी सकता है
ज़रा सी चोट लगी थी कि चलना भूल गए
तू एक साल में इक साँस भी न जी पाया
ये बद-नसीबी नहीं है तो और फिर क्या है
अब उसे छोड़ के जाना भी नहीं चाहते हम
शौक़ से आप ये अंग्रेज़ी दवा भी लेते