शोक Poetry (page 149)

शिकस्त

आबिद आलमी

अजनबी

आबिद आलमी

देख कर मेरी अना किस दर्जा हैरानी में है

अब्दुस्समद ’तपिश’

ये कौन मेरे अलावा मिरे वजूद में है

अब्दुर्राहमान वासिफ़

जहान-ए-फ़िक्र पे चमकेगा जब सितारा मिरा

अब्दुर्राहमान वासिफ़

गुमान तोड़ चुका मैं मगर नहीं कोई है

अब्दुर्राहमान वासिफ़

अगर तुम रोक दो इज़हार-ए-लाचारी करूँगा

अब्दुर्राहमान वासिफ़

चुप

अब्दुर्रशीद

रूठे हैं हम से दोस्त हमारे कहाँ कहाँ

अब्दुल्लतीफ़ शौक़

वादा-ए-वस्ल है लज़्ज़त-ए-इंतिज़ार उठा

अब्दुल्लाह कमाल

इतना यक़ीन रख कि गुमाँ बाक़ी रहे

अब्दुल्लाह कमाल

रूह को क़ालिब के अंदर जानना मुश्किल हुआ

अब्दुल्लाह जावेद

चमका जो चाँद रात का चेहरा निखर गया

अब्दुल्लाह जावेद

मिरा दिल मुब्तला है झाँवली का

अब्दुल वहाब यकरू

ख़ुश-क़दाँ जब ख़िराम करते हैं

अब्दुल वहाब यकरू

गुदाज़-ए-आतिश-ए-ग़म सीं हुई हैं बावली अँखियाँ

अब्दुल वहाब यकरू

नई ग़ज़ल का नई फ़िक्र-ओ-आगही का वरक़

अब्दुल वहाब सुख़न

नए हैं वस्ल के मौसम मोहब्बतें भी नई

अब्दुल वहाब सुख़न

मोहब्बत का जिसे इरफ़ाँ नहीं है

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

क्या क्या सुपुर्द-ए-ख़ाक हुए नामवर तमाम

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

कोई नज़्र-ए-ग़म-ए-हालात न होने पाए

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

करते नहीं जफ़ा भी वो तर्क-ए-वफ़ा के साथ

अब्दुल रहमान ख़ान वासिफ़ी बहराईची

किस को उस का ग़म हो जिस दम ग़म से वो ज़ारी करे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

मरते दम नाम तिरा लब के जो आ जाए क़रीब

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

हर आन जल्वा नई आन से है आने का

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म याँ तो बिका हुआ खड़ा है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

दिल तो हाज़िर है अगर कीजिए फिर नाज़ से रम्ज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

बाग़ में जब कि वो दिल ख़ूँ-कुन-ए-हर-गुल पहुँचे

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

आँखों में मुरव्वत तिरी ऐ यार कहाँ है

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

ग़म-ए-हयात ग़म-ए-दिल निशात-ए-जाँ गुज़रा

अब्दुल मतीन नियाज़

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