शोक Poetry (page 78)

शब की दहलीज़ से किस हाथ ने फेंका पत्थर

हसन अख्तर जलील

रात लम्बी भी है और तारीक भी शब-गुज़ारी का सामाँ करो दोस्तो

हसन अख्तर जलील

फाँदती फिरती हैं एहसास के जंगल रूहें

हसन अख्तर जलील

निभाओ अब उसे जो वज़्अ भी बना ली है

हसन अख्तर जलील

कर के संग-ए-ग़म-ए-हस्ती के हवाले मुझ को

हसन अख्तर जलील

क्या तर्जुमानी-ए-ग़म-ए-दुनिया करें कि जब

हसन अकबर कमाल

माज़ी में रह जाने वाली आँखें

हसन अकबर कमाल

उस इक उम्मीद को तो राहत-ए-सफ़र न समझ

हसन अकबर कमाल

सफ़्फ़ाक सराब से ज़ियादा

हसन अकबर कमाल

है तन्हाई में बहना आँसुओं का

हसन अकबर कमाल

ग़म-ए-जाँ गुम ग़म-ए-दुनिया में तो होना मुश्किल

हसन अकबर कमाल

दिल में तिरे ख़ुलूस समोया न जा सका

हसन अकबर कमाल

शहर-ए-ना-पुरसाँ में कुछ अपना पता मिलता नहीं

हसन आबिदी

हम तीरगी में शम्अ जलाए हुए तो हैं

हसन आबिदी

मैं तर्क-ए-तअल्लुक़ पे भी आमादा हूँ लेकिन

हसन अब्बास रज़ा

इरादा था कि अब के रंग-ए-दुनिया देखना है

हसन अब्बास रज़ा

हमें तो ख़्वाहिश-ए-दुनिया ने रुस्वा कर दिया है

हसन अब्बास रज़ा

घर लौटते हैं जब भी कोई यार गँवा कर

हसन अब्बास रज़ा

वक़्त अजीब चीज़ है वक़्त के साथ ढल गए

हसन आबिद

हम तीरगी में शम्अ' जलाए हुए तो हैं

हसन आबिद

उमीदों से दिल-ए-बर्बाद को आबाद करता हूँ

हरी चंद अख़्तर

शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें

हरी चंद अख़्तर

वो पेच-ओ-ख़म जहाँ की हर इक रहगुज़र में है

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

तुम आए जब नहीं नाकाम लौट जाने को

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

फिर उन की याद के दीपक जलाए हैं मैं ने

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

कौन है जो न हुआ बंदिश-ए-ग़म से आज़ाद

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

अश्कों का मिरी आँख से पैग़ाम न आए

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

सैद को रश्क-ए-चमन दाम ने रहने न दिया

हक़ीर जहानी

किस की उस तक रसाई होती है

हक़ीर

तुम कभी माइल-ए-करम न हुए

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

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