शोक Poetry (page 81)

मैं वो ग़म-दोस्त हूँ जब कोई ताज़ा ग़म हुआ पैदा

हैदर अली आतिश

यार को मैं ने मुझे यार ने सोने न दिया

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

रुख़ ओ ज़ुल्फ़ पर जान खोया किया

हैदर अली आतिश

रोज़-ए-मौलूद से साथ अपने हुआ ग़म पैदा

हैदर अली आतिश

रफ़्तगाँ का भी ख़याल ऐ अहल-ए-आलम कीजिए

हैदर अली आतिश

ना-फ़हमी अपनी पर्दा है दीदार के लिए

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

कूचा-ए-दिलबर में मैं बुलबुल चमन में मस्त है

हैदर अली आतिश

ख़्वाहाँ तिरे हर रंग में ऐ यार हमीं थे

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

इस के कूचे में मसीहा हर सहर जाता रहा

हैदर अली आतिश

हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का

हैदर अली आतिश

दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

यारा-ए-गुफ़्तुगू नहीं आँखों में दम नहीं

हाफ़िज़ लुधियानवी

हर शे'र ग़ज़ल का कह रहा है

हाफ़िज़ लुधियानवी

तमाम रात आँसुओं से ग़म उजालता रहा

हफ़ीज़ मेरठी

बड़े अदब से ग़ुरूर-ए-सितम-गराँ बोला

हफ़ीज़ मेरठी

ज़माने का भरोसा क्या अभी कुछ है अभी कुछ है

हफ़ीज़ जौनपुरी

उन को दिल दे के पशेमानी है

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

क़ासिद ख़िलाफ़-ए-ख़त कहीं तेरा बयाँ न हो

हफ़ीज़ जौनपुरी

मुसीबतें तो उठा कर बड़ी बड़ी भूले

हफ़ीज़ जौनपुरी

मुँह मिरा एक एक तकता था

हफ़ीज़ जौनपुरी

कोई जहाँ में न यारब हो मुब्तला-ए-फ़िराक़

हफ़ीज़ जौनपुरी

हुए इश्क़ में इम्तिहाँ कैसे कैसे

हफ़ीज़ जौनपुरी

हसीनों से फ़क़त साहिब-सलामत दूर की अच्छी

हफ़ीज़ जौनपुरी

दीवाने हुए सहरा में फिरे ये हाल तुम्हारे ग़म ने किया

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल में हैं वस्ल के अरमान बहुत

हफ़ीज़ जौनपुरी

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