शोक Poetry (page 82)

चाक-ए-दामाँ न रहा चाक-ए-गरेबाँ न रहा

हफ़ीज़ जौनपुरी

इलाही एक ग़म-ए-रोज़गार क्या कम था

हफ़ीज़ जालंधरी

कृष्ण कन्हैया

हफ़ीज़ जालंधरी

अभी तो मैं जवान हूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

ज़िंदगी का लुत्फ़ भी आ जाएगा

हफ़ीज़ जालंधरी

वो अब्र जो मय-ख़्वार की तुर्बत पे न बरसे

हफ़ीज़ जालंधरी

उठो अब देर होती है वहाँ चल कर सँवर जाना

हफ़ीज़ जालंधरी

तिरे दिल में भी हैं कुदूरतें तिरे लब पे भी हैं शिकायतें

हफ़ीज़ जालंधरी

मजाज़ ऐन-ए-हक़ीक़त है बा-सफ़ा के लिए

हफ़ीज़ जालंधरी

किसी के रू-ब-रू बैठा रहा मैं बे-ज़बाँ हो कर

हफ़ीज़ जालंधरी

ख़ून बन कर मुनासिब नहीं दिल बहे

हफ़ीज़ जालंधरी

इन तल्ख़ आँसुओं को न यूँ मुँह बना के पी

हफ़ीज़ जालंधरी

हुस्न ने सीखीं ग़रीब-आज़ारियाँ

हफ़ीज़ जालंधरी

हम ही में थी न कोई बात याद न तुम को आ सके

हफ़ीज़ जालंधरी

आने वाले जाने वाले हर ज़माने के लिए

हफ़ीज़ जालंधरी

ज़माने भर के ग़म या इक तिरा ग़म

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ग़म-ए-ज़िंदगानी के सब सिलसिले

हफ़ीज़ होशियारपुरी

फिर से आराइश-ए-हस्ती के जो सामाँ होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मन-ओ-तू का हिजाब उठने न दे ऐ जान-ए-यकताई

हफ़ीज़ होशियारपुरी

कुछ इस तरह से नज़र से गुज़र गया कोई

हफ़ीज़ होशियारपुरी

कुछ इस तरह से नज़र से गुज़र गया कोई

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ग़म-ए-आफ़ाक़ है रुस्वा ग़म-ए-दिल-बर बन के

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम

हफ़ीज़ होशियारपुरी

अब कोई आरज़ू नहीं शौक़-ए-पयाम के सिवा

हफ़ीज़ होशियारपुरी

आज उन्हें कुछ इस तरह जी खोल कर देखा किए

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ये किस मक़ाम पे लाई है ज़िंदगी हम को

हफ़ीज़ बनारसी

ये कैसी हवा-ए-ग़म-ओ-आज़ार चली है

हफ़ीज़ बनारसी

ये हादसा भी शहर-ए-निगाराँ में हो गया

हफ़ीज़ बनारसी

ये और बात कि लहजा उदास रखते हैं

हफ़ीज़ बनारसी

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.