ग़ज़ल Poetry (page 7)

कहीं से चाँद कहीं से क़ुतुब-नुमा निकला

शकील आज़मी

कशिश से दिल की उस अबरू-कमाँ को हम रखा बहला

शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम

रदीफ़ क़ाफ़िया बंदिश ख़याल लफ़्ज़-गरी

शहज़ाद क़ैस

जो कुछ भी मेरे पास थी दौलत निगल गई

शहज़ाद हुसैन साइल

ये किस के आने के इम्काँ दिखाई देते हैं

शहज़ाद अहमद

वाक़िआ कोई न जन्नत में हुआ मेरे ब'अद

शहज़ाद अहमद

अक़्ल हर बात पे हैराँ है इसे क्या कहिए

शहज़ाद अहमद

आँधी की ज़द में शम-ए-तमन्ना जलाई जाए

शहरयार

इस सोच में ही मरहला-ए-शब गुज़र गया

शहराम सर्मदी

मेज़ पे चेहरा ज़ुल्फ़ें काग़ज़ पर

शहनवाज़ ज़ैदी

दिल भी दाग़-ए-नक़्श-ए-कुहन से बुझा हुआ था

शहनवाज़ ज़ैदी

आँसुओं में ज़रा सी हँसी घोल कर

शाहिद मीर

हर मरहले से यूँ तो गुज़र जाएगी ये शाम

शाहिद माहुली

आज भी जिस की है उम्मीद वो कल आए हुए

शाहिद लतीफ़

कुछ अपनी बात कहो कुछ मिरी सुनो मत सो

शाहिद इश्क़ी

हर परी-वश का ए'तिबार करो

शाहिद इश्क़ी

'मीर'-ओ-'ग़ालिब' की तरह सेहर-बयाँ से निकले

शहाब अख़्तर

ज़ुल्फ़ छुटती तिरे रुख़ पर तो दिल अपना फिरता

शाह नसीर

सुब्ह-ए-गुलशन में हो गर वो गुल-ए-ख़ंदाँ पैदा

शाह नसीर

सदा है इस आह-ओ-चश्म-ए-तर से फ़लक पे बिजली ज़मीं पे बाराँ

शाह नसीर

निकहत-ए-गुल हैं या सबा हैं हम

शाह नसीर

कुछ सरगुज़िश्त कह न सके रू-ब-रू क़लम

शाह नसीर

ग़र्क़ न कर दिखला कर दिल को कान का बाला ज़ुल्फ़ का हल्क़ा

शाह नसीर

दिल को किस सूरत से कीजे चश्म-ए-दिलबर से जुदा

शाह नसीर

छोड़ा न तुझे ने राम क्या ये भी न हुआ वो भी न हुआ

शाह नसीर

बे-सबब हाथ कटारी को लगाना क्या था

शाह नसीर

मुल्ज़िम ठहरी मैं अपनी सच्चाई से

सगुफ़ता यासमीन

एक सूरज को सुरख़-रू कर के

सगुफ़ता यासमीन

पानी को ख़ून ख़ून को पानी लिखेगा कौन

सगुफ़ता तलअत सीमा

गुल-ए-ख़ुश-नुमा के लिबास में कि शुआ-ए-नूर में ढल के आ

शायर फतहपुरी

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