गनचह Poetry (page 4)

सियाह है दिल-ए-गीती सियाह-तर हो जाए

रईस अमरोहवी

दयार-ए-शाहिद-ए-बिल्क़ीस-अदा से आया हूँ

रईस अमरोहवी

दिलों की राह पर आख़िर ग़ुबार सा क्यूँ है

राही मासूम रज़ा

ये कैसा गुल खिलाया है शजर ने

राही फ़िदाई

छतों पे आग रही बाम-ओ-दर पे धूप रही

इक़बाल उमर

न कोई ग़ैर न अपना दिखाई देता है

इक़बाल मिनहास

मर्ग-ए-गुल से पेशतर

इक़बाल हैदर

एक तितली उड़ी

इमरान शमशाद

जाते है ख़ानक़ाह से वाइज़ सलाम है

इमदाद अली बहर

चुनने न दिया एक मुझे लाख झड़े फूल

इमदाद अली बहर

ख़ुशा वो बाग़ महकती हो जिस में बू तेरी

हसरत शरवानी

कब तलक पीवेगा तू तर-दामनों से मिल के मुल

हसरत अज़ीमाबादी

ये फ़ज़ा-ए-नील-गूँ ये बाल-ओ-पर काफ़ी नहीं

हनीफ़ फ़ौक़

अब मिरा दर्द न तेरा जादू

हमीद नसीम

बुलबुल को फिर चमन में लगा लाई बू-ए-गुल

हकीम सय्यद मोहम्मद ग़ाज़ीपुरी

ये किस रश्क-ए-मसीहा का मकाँ है

हैदर अली आतिश

कौन से दिल में मोहब्बत नहीं जानी तेरी

हैदर अली आतिश

फ़र्त-ए-शौक़ उस बुत के कूचे में लगा ले जाएगा

हैदर अली आतिश

फ़रेब-ए-हुस्न से गब्र-ओ-मुसलमाँ का चलन बिगड़ा

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

मज़हका आओ उड़ाएँ इश्क़-ए-बे-बुनियाद का

हफ़ीज़ जालंधरी

न डगमगाए कभी हम वफ़ा के रस्ते में

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

उस शो'ला-रू से जब से मिरी आँख जा लगी

ग़मगीन देहलवी

हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो

ग़ालिब

गर तुझ को है यक़ीन-ए-इजाबत दुआ न माँग

ग़ालिब

एक एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब

ग़ालिब

अर्ज़-ए-नाज़-ए-शोख़ी-ए-दंदाँ बराए-ख़ंदा है

ग़ालिब

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