गनचह Poetry (page 5)

बस्तियाँ ढूँढ रही हैं उन्हें वीरानों में

फ़िराक़ गोरखपुरी

इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं

फ़ज़ल हुसैन साबिर

कीसा-ए-गुल में बंद थी ख़ुशबू

फ़रताश सय्यद

जबीं का चाँद बनूँ आँख का सितारा बनूँ

फ़ारिग़ बुख़ारी

बिछड़े घर का साया

फ़रहत एहसास

ख़िलाफ़-ए-गर्दिश-ए-मा'मूल होना चाहता हूँ

फ़रहत एहसास

सारे मंज़र दिलकश थे हर बात सुहानी लगती थी

फ़रह इक़बाल

मय-ख़ाना है बिना-ए-शर-ओ-ख़ैर तो नहीं

एजाज़ वारसी

दुनिया सबब-ए-शोरिश-ए-ग़म पूछ रही है

एजाज़ सिद्दीक़ी

चुप

एजाज़ फ़ारूक़ी

तमाम नूर-ए-तजल्ली तमाम रंग-ए-चमन

दर्शन सिंह

चश्म-ए-बीना हो तो क़ैद-ए-हरम-ओ-तूर नहीं

दर्शन सिंह

जग में कोई न टुक हँसा होगा

ख़्वाजा मीर 'दर्द'

जो हो सकता है उस से वो किसी से हो नहीं सकता

दाग़ देहलवी

दुनिया में दिल लगा के बहुत सोचते रहे

डी. राज कँवल

अज़ीज़ान-ए-वतन को ग़ुंचा ओ बर्ग ओ समर जाना

चकबस्त ब्रिज नारायण

न कोई दोस्त दुश्मन हो शरीक-ए-दर्द-ओ-ग़म मेरा

चकबस्त ब्रिज नारायण

फ़ना का होश आना ज़िंदगी का दर्द-ए-सर जाना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

जब कभी नाम-ए-मोहम्मद लब पे मेरे आए है

बिस्मिल अज़ीमाबादी

मोहब्बत नग़्मा भी है साज़ भी है

बिर्ज लाल रअना

असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं

भारतेंदु हरिश्चंद्र

राज़ है इबरत-असर फ़ितरत की हर तहरीर का

बेबाक भोजपुरी

यार पहलू में निहाँ था मुझे मा'लूम न था

बयान मेरठी

वो दरिया-बार अश्कों की झड़ी है

बयान मेरठी

सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ

बयान मेरठी

सर-ए-शोरीदा पा-ए-दश्त-ए-पैमा शाम-ए-हिज्राँ था

बयान मेरठी

जुनूँ की राख से मंज़िल में रंग क्या आए

बाक़ी सिद्दीक़ी

नर्गिस-ए-मस्त तिरी जाए जो तुल बरसर-ए-गुल

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

शाहिद-ए-ग़ैब हुवैदा न हुआ था सो हुआ

बाक़र आगाह वेलोरी

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