गुलशन Poetry (page 15)

दे मोहब्बत तो मोहब्बत में असर पैदा कर

बेख़ुद देहलवी

यूँ गुलशन-ए-हस्ती की माली ने बिना डाली

बेदम शाह वारसी

ये ख़ुसरवी-ओ-शौकत-ए-शाहाना मुबारक

बेदम शाह वारसी

सुब्ह क़यामत आएगी कोई न कह सका कि यूँ

बयान मेरठी

मुझे कहना है

बशर नवाज़

मतलब न काबे से न इरादा कनिश्त का

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

जब अयाँ सुब्ह को वो नूर-ए-मुजस्सम हो जाए

मिर्ज़ा रज़ा बर्क़

वक़्त रस्ते में खड़ा है कि नहीं

बाक़ी सिद्दीक़ी

सुब्ह का भेद मिला क्या हम को

बाक़ी सिद्दीक़ी

मुझे तो इश्क़ में अब ऐश-ओ-ग़म बराबर है

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

लरज़ लरज़ के न टूटें तो वो सितारे क्या

बाक़र मेहदी

कब तसव्वुर यार-ए-गुल-रुख़्सार का फ़े'अल-ए-अबस

बहराम जी

न दरवेशों का ख़िर्क़ा चाहिए न ताज-ए-शाहाना

ज़फ़र

इतना भी बार-ए-ख़ातिर-ए-गुलशन न हो कोई

अज़ीज़ लखनवी

दिल आया इस तरह आख़िर फ़रे‌‌‌‌ब-ए-साज़-ओ-सामाँ में

अज़ीज़ लखनवी

ज़ालिम तिरे वादों ने दीवाना बना रक्खा

अज़ीज़ हैदराबादी

ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा

अज़हर लखनवी

तुम्हारे पास रहें हम तो मौत भी क्या है

आज़ाद गुलाटी

नाव तूफ़ान में जब ज़ेर-ओ-ज़बर होती है

औलाद अली रिज़वी

ख़्वाहिशें दुनिया की बार-ए-दोश-ओ-गर्दन हो गईं

औज लखनवी

साँसों के तआक़ुब में हैरान मिली दुनिया

अता आबिदी

दिल्ली से वापसी

असरार-उल-हक़ मजाज़

आवारा

असरार-उल-हक़ मजाज़

साक़ी-ए-गुलफ़ाम बा-सद एहतिमाम आ ही गया

असरार-उल-हक़ मजाज़

मैं तिरे शहर में फिरती रही मारी मारी

असरा रिज़वी

ऐ ज़मिस्ताँ की हवा तेज़ न चल

असलम अंसारी

एक समुंदर एक किनारा एक सितारा काफ़ी है

असलम अंसारी

ज़मीं की रात

आसिफ़ रज़ा

दिल धड़कता है कि तू यार है सौदाई का

अशरफ़ अली फ़ुग़ाँ

गुलशन गुलशन शोला-ए-गुल की ज़ुल्फ़-ए-सबा की बात चली

असग़र सलीम

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