गुलशन Poetry (page 3)

फ़क़ीरों का चलन यूँ जिस्म के अंदर महकता है

ताैफ़ीक़ साग़र

ख़ुद से भी इक बात छुपाया करता हूँ

तनवीर सामानी

रौनक़ें आबादियाँ क्या क्या चमन की याद हैं

तालिब अली खान ऐशी

हर्फ़

ताहिर अज़ीम

ये शहर आफ़तों से तो ख़ाली कोई न था

ताबिश कमाल

देखिए अहल-ए-मोहब्बत हमें क्या देते हैं

ताबिश देहलवी

लुत्फ़ ये है जिसे आशोब-ए-जहाँ कहता हूँ

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

गुलों के साथ अजल के पयाम भी आए

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

बस्ती में कमी किस चीज़ की है पत्थर भी बहुत शीशे भी बहुत

ग़ुलाम रब्बानी ताबाँ

तू मिल उस से हो जिस से दिल तिरा ख़ुश

ताबाँ अब्दुल हई

सुन फ़स्ल-ए-गुल ख़ुशी हो गुलशन में आइयाँ हैं

ताबाँ अब्दुल हई

क़फ़स से छूटने की कब हवस है

ताबाँ अब्दुल हई

नहीं कोई दोस्त अपना यार अपना मेहरबाँ अपना

ताबाँ अब्दुल हई

खोता ही नहीं है हवस-ए-मतअम-ओ-मलबस

ताबाँ अब्दुल हई

हो रूह के तईं जिस्म से किस तरह मोहब्बत

ताबाँ अब्दुल हई

मंज़िलों उस को आवाज़ देते रहे मंज़िलों जिस की कोई ख़बर भी न थी

ताब असलम

उन्स है ख़ाना-ए-सय्याद से गुलशन कैसा

तअशशुक़ लखनवी

जिस्म ओ जाँ सुलगते हैं बारिशों का मौसम है

सय्यदा नफ़ीस बानो शम्अ

बर-सर-ए-लुत्फ़ आज चश्म-ए-दिल-रुबा थी मैं न था

सय्यद यूसुफ़ अली खाँ नाज़िम

याद के त्यौहार में वस्ल-ओ-वफ़ा सब चाहिए

सय्यद मुनीर

तुम्हारे आने का जब जब भी एहतिमाम किया

सय्यद मुबीन अल्वी ख़ैराबादी

रंगून का मुशाएरा

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

कराची का ट्रैफ़िक

सय्यद मोहम्मद जाफ़री

दर्द थमता ही नहीं सीने में आराम के बा'द

सय्यद मोहम्मद असकरी आरिफ़

आई नहीं क्या क़ैद है गुलशन में सबा भी

सय्यद हामिद

आँखों को चमक चेहरे को इक आब तो दीजे

सय्यद फ़ज़लुल मतीन

तीर पे तीर निशानों पे निशाने बदले

सय्यद आरिफ़ अली

न कोई नीलम न कोई हीरा न मोतियों की बहार देखी

सूरज नारायण

मौसम-ए-गुल कुंज-ए-गुलशन निकहत-ए-गेसू न हो

सुलतान रशक

लिख रहा हूँ हर्फ़-ए-हक़ हर्फ़-ए-वफ़ा किस के लिए

सुलतान रशक

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