पाप Poetry (page 4)

यहीं कहीं पे कभी शोला-कार मैं भी था

साक़ी फ़ारुक़ी

ख़ामोश धड़कनों की सदा की किसे ख़बर

संदीप कोल नादिम

तिलिस्म-ए-लफ़्ज़-ओ-मआ'नी को तार तार करें

समद अंसारी

इस आलम-ए-हैरत-ओ-इबरत में कुछ भी तो सराब नहीं होता

सलीम कौसर

काठ की लड़कियाँ बना ली हैं

साजिद प्रेमी

मगर ज़ुल्म के ख़िलाफ़

साहिर लुधियानवी

बस फ़र्क़ इस क़दर है गुनाह ओ सवाब में

साहिर होशियारपुरी

ग़म के मुजरिम ख़ुशी के मुजरिम हैं

साग़र सिद्दीक़ी

उस वक़्त मुझ को दावत-ए-जाम-ओ-सुबू मिली

साग़र ख़य्यामी

उस्ताद मर गए

साग़र ख़य्यामी

क्यूँ दिल तिरे ख़याल का हामिल नहीं रहा

साग़र ख़य्यामी

तन्हाई तामीर करेगी घर से बेहतर इक ज़िंदान

साबिर ज़फ़र

ख़्वाब

साबिर दत्त

मुख़्तसर ही सही मयस्सर है

साबिर

ये सर-ब-मोहर बोतलें हैं जो शराब की

रियाज़ ख़ैराबादी

गले लगाएँ बलाएँ लें तुम को प्यार करें

रिन्द लखनवी

महकती आँखों में सोचा था ख़्वाब उतरेंगे

रज़ा मौरान्वी

अपनी क़िस्मत के हुए सारे सितारे पत्थर

रशीदुज़्ज़फ़र

मुझ को मंज़ूर है मरने पे सुबुक-बारी हो

रशीद लखनवी

कुछ इस अदा से सफ़ीरान-ए-नौ-बहार चले

रम्ज़ अज़ीमाबादी

मुस्कुराती आँखों को दोस्तों की नम करना

राम रियाज़

दुनिया को क्या ख़बर? मिरी दुनिया फिर आ गई

रईस अमरोहवी

ब-ज़ोम-ए-अक़्ल ये कैसा गुनाह मैं ने किया

इरफ़ान सत्तार

हज़ार बार वो बैठा हज़ार बार उठा

इक़तिदार जावेद

ये इत्र बे-ज़ियाँ नहीं नसीम-ए-नौ-बहार की

इक़बाल सुहैल

उस बंदा की चाह देखिएगा

इंशा अल्लाह ख़ान

तफ़ज़्जुलात नहीं लुत्फ़ की निगाह नहीं

इंशा अल्लाह ख़ान

अमरद हुए हैं तेरे ख़रीदार चार पाँच

इंशा अल्लाह ख़ान

मैं अपने हाल-ए-ज़ार का आईना-दार हूँ

इमरान साग़र

इफ़्शा हुए असरार-ए-जुनूँ जामा-दरी से

इमदाद अली बहर

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