पाप Poetry (page 6)

उस को मुझ से रुठा दिया किस ने

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

किस नाज़ से वाह हम को मारा

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

दुआएँ माँगीं हैं मुद्दतों तक झुका के सर हाथ उठा उठा कर

गोया फ़क़ीर मोहम्मद

हवा के हाथ में ख़ंजर है और सब चुप हैं

गोविन्द गुलशन

क्या कीजिए कशिश है कुछ ऐसी गुनाह में

गोपाल मित्तल

दौर-ए-फ़लक के शिकवे गिले रोज़गार के

गोपाल मित्तल

ज़िंदगी

ग़ुलाम मोहम्मद क़ासिर

कोई सबब तो था कि 'ग़ौस' फ़हम-ओ-ज़का के बावजूद

गाैस मथरावी

क़ल्ब-ओ-नज़र के सिलसिले मेरी निगाह में रहे

गाैस मथरावी

क़दम क़दम पे है रक़्साँ उदासियों का झुण्ड

ग़ौसिया ख़ान सबीन

तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो

ग़ालिब

रहमत अगर क़ुबूल करे क्या बईद है

ग़ालिब

हद चाहिए सज़ा में उक़ूबत के वास्ते

ग़ालिब

तुम जानो तुम को ग़ैर से जो रस्म-ओ-राह हो

ग़ालिब

ग़ाफ़िल ब-वहम-ए-नाज़ ख़ुद-आरा है वर्ना याँ

ग़ालिब

दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं

ग़ालिब

साहब दिलों से राह में आँखें मिला के देख

फ़ुज़ैल जाफ़री

कोई समझे तो एक बात कहूँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

परछाइयाँ

फ़िराक़ गोरखपुरी

अपने ग़म का मुझे कहाँ ग़म है

फ़िराक़ गोरखपुरी

आँखों में जो बात हो गई है

फ़िराक़ गोरखपुरी

अदीब था न मैं कोई बड़ा सहाफ़ी था

फ़ाज़िल अंसारी

इक मुश्त-ए-पर हूँ मुझ को यक़ीनन सुकूँ नहीं

फ़ातिमा वसीया जायसी

ये दिल-कथा है अदाकार तेरे बस में नहीं

फ़रताश सय्यद

बस्ती से दूर जा के कोई रो रहा है क्यूँ

फ़ारूक़ नाज़की

क्या बैठ जाएँ आन के नज़दीक आप के

फ़रहत एहसास

कभी हँसते नहीं कभी रोते नहीं कभी कोई गुनाह नहीं करते

फ़रहत एहसास

बीमार हो गया हूँ शिफा-ख़ाना चाहिए

फ़रहत एहसास

मुझ को मिरे नसीब ने रोज़-ए-अज़ल से क्या दिया

फ़ानी बदायुनी

मर कर मरीज़-ए-ग़म की वो हालत नहीं रही

फ़ानी बदायुनी

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