पाप Poetry (page 10)

वो कोई और न था चंद ख़ुश्क पत्ते थे

अहमद नदीम क़ासमी

वो जो रात मुझ को बड़े अदब से सलाम कर के चला गया

अहमद मुश्ताक़

कहूँ किस से रात का माजरा नए मंज़रों पे निगाह थी

अहमद मुश्ताक़

क़िबला-ए-आब-ओ-गिल तुम्हीं तो हो

अहमद हुसैन माइल

सफ़र ऐसा है कहाँ का

अहमद हमेश

तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तिरी दुहाई न दूँ

अहमद फ़राज़

क़ामत को तेरे सर्व सनोबर नहीं कहा

अहमद फ़राज़

न सह सका जब मसाफ़तों के अज़ाब सारे

अहमद फ़राज़

कल ख़्वाब में इक परी मिली थी

अहमद अता

दे के वो सारे इख़्तियार मुझे

अहमद अशफ़ाक़

कर के असीर-ए-ग़म्ज़ा-ओ-नाज़-ओ-अदा मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

क्या कर रहे हो ज़ुल्म करो राह राह का

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

तिरछी नज़र न हो तरफ़-ए-दिल तो क्या करूँ

आग़ा हज्जू शरफ़

शौक़-ए-वारफ़्ता चला शहर-ए-तमाशा की तरफ़

अफ़ीफ़ सिराज

सफ़ेद रात से मंसूब है लहू का ज़वाल

आदिल मंसूरी

नज़्म

आदिल मंसूरी

शामिल था ये सितम भी किसी के निसाब में

अदीम हाशमी

मुफ़ाहमत न सिखा जब्र-ए-नारवा से मुझे

अदीम हाशमी

मिरे शौक़-ए-जुस्तुजू का किसे ए'तिबार होता

अदीब सहारनपुरी

ज़ब्त कर आह बार बार न कर

अबू ज़ाहिद सय्यद यहया हुसैनी क़द्र

पंछियों के रू-ब-रू क्या ज़िक्र-ए-नादारी करूँ

अब्दुर्रहीम नश्तर

अभी गुनाह का मौसम है आ शबाब में आ

अब्दुल्लाह कमाल

अभी गुनाह का मौसम है आ शबाब में आ

अब्दुल्लाह कमाल

क्यूँके करे न शहर को रो रो उजाड़ चश्म

अब्दुल वहाब यकरू

बे-सबब क्यूँ तबाह होता है

अब्दुल हमीद अदम

कभी ऐ हक़ीक़त-ए-दिलबरी सिमट आ निगाह-ए-मजाज़ में

अब्दुल अलीम आसि

इक इश्क़ है कि जिस की गली जा रहा हूँ मैं

आज़िम कोहली

उसी के जल्वे थे लेकिन विसाल-ए-यार न था

आसी ग़ाज़ीपुरी

दयार-ए-ख़्वाब

आशुफ़्ता चंगेज़ी

ख़ुद से मैं बे-यक़ीं हुआ ही नहीं

आस मोहम्मद मोहसिन

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