पाप Poetry (page 3)
ज़िंदगी उन की चाह में गुज़री
शकील बदायुनी
ज़ौक़-ए-गुनाह ओ अज़्म-ए-पशेमाँ लिए हुए
शकील बदायुनी
शिकवा-ए-इज़्तिराब कौन करे
शकील बदायुनी
न कुछ सितम से तिरे आह आह करता हूँ
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
मिला दिए ख़ाक में ख़ुदा ने पलक के लगते ही शाह लाखों
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
किस सितमगर का गुनाहगार हूँ अल्लाह अल्लाह
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
हम को कब इंतिज़ार है फ़स्ल-ए-बहार हो न हो
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
दर्द-ए-दिल मेरी आह से पूछो
शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम
तख़्ता-ए-दार पे चाहे जिसे लटका दीजे
शहज़ाद अहमद
तुझ पे जाँ देने को तय्यार कोई तो होगा
शहज़ाद अहमद
इबलीस भी रख लेते हैं जब नाम फ़रिश्ते
शहज़ाद अहमद
बिछड़ गया था कोई ख़्वाब-ए-दिल-नशीं मुझ से
शाहिद ज़की
हर परी-वश का ए'तिबार करो
शाहिद इश्क़ी
ख़ाक-ए-दिल कहकशाँ से मिलती है
शाहीन ग़ाज़ीपुरी
आँखों से मअ'नी-ए-सुख़न-ए-मीर देखते
शफ़क़ सुपुरी
टूटे जो दाँत मुँह की शबाहत बिगड़ गई
शाद लखनवी
ता-उम्र आश्ना न हुआ दिल गुनाह का
शाद अज़ीमाबादी
सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया
शाद अज़ीमाबादी
इंतिज़ार था हम को ख़ुशनुमा बहारों का
शाद आरफ़ी
मजबूर हूँ गुनाह किए जा रहा हूँ मैं
सीमाब बटालवी
शायद जगह नसीब हो उस गुल के हार में
सीमाब अकबराबादी
हिर्स-ओ-हवस के नाम ये दिन रात की तलब
सौरभ शेखर
चेहरे पे न ये नक़ाब देखा
मोहम्मद रफ़ी सौदा
अपने का है गुनाह बेगाने ने क्या किया
मोहम्मद रफ़ी सौदा
सवाब की दुआओं ने गुनाह कर दिया मुझे
सरवत ज़ेहरा
हाँ मेरी महबूबा
सरमद सहबाई
सियाह रात के पहलू में जिस्म के अंदर
सरफ़राज़ ख़ालिद
ज़ाहिद मिरी समझ में तो दोनों गुनाह हैं
सरदार गेंडा सिंह मशरिक़ी
क़र्ज़
सारा शगुफ़्ता
मुझे गुनाह में अपना सुराग़ मिलता है
साक़ी फ़ारुक़ी
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