तख़्ता-ए-दार पे चाहे जिसे लटका दीजे
इतने लोगों में गुनाहगार कोई तो होगा
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Habib Jalib
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(413) Peoples Rate This
बाग़ का बाग़ उजड़ गया कोई कहो पुकार कर
आरज़ू की बे-हिसी का गर यही आलम रहा
तुझ पे जाँ देने को तय्यार कोई तो होगा
कोई बताओ कि किस के लिए तलाश करें
इस दौर-ए-बे-दिली में कोई बात कैसे हो
अगर दो दिल कहीं भी मिल गए हैं
अपने लिए तो ख़ाक की ख़ुश्बू है ज़िंदगी
हर तरफ़ फैली हुई थी रौशनी ही रौशनी
रुख़्सत हुआ तो आँख मिला कर नहीं गया
हम जो दस्तक कभी देते थे सबा की मानिंद
गुज़र ही जाएगी 'शहज़ाद' जो गुज़रनी है
कुछ न कुछ हो तो सही अंजुमन-आराई को