हश्र Poetry (page 8)

क्यूँ देखिए न हुस्न-ए-ख़ुदा-दाद की तरफ़

इम्दाद इमाम असर

बुतो ख़ुदा पे न रक्खो मोआ'मला दिल का

इमदाद अली बहर

दिल वही अश्क-बार रहता है

इब्न-ए-मुफ़्ती

लाएगा रंग ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ देखते रहो

होश तिर्मिज़ी

दिल को ग़म रास है यूँ गुल को सबा हो जैसे

होश तिर्मिज़ी

दस्तक हवा ने दी है ज़रा ग़ौर से सुनो

हिमायत अली शाएर

कहेगी हश्र के दिन उस की रहमत-ए-बे-हद

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

शब-ए-फ़िराक़ कुछ ऐसा ख़याल-ए-यार रहा

हिज्र नाज़िम अली ख़ान

वारिद कोह-ए-बयाबाँ जब में दीवाना हुआ

हातिम अली मेहर

हुस्न-ए-बे-परवा को ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा कर दिया

हसरत मोहानी

माख़ूज़ होगे शैख़-ए-रिया-कार रोज़-ए-हश्र

हसरत अज़ीमाबादी

मिलेगी शैख़ को जन्नत, हमें दोज़ख़ अता होगा

हरी चंद अख़्तर

दुश्मन हैं वो भी जान के जो हैं हमारे लोग

हक़ीर

क़ामत तिरी दलील क़यामत की हो गई

हैदर अली आतिश

तुर्रा उसे जो हुस्न-ए-दिल-आज़ार ने किया

हैदर अली आतिश

कोई अच्छा नहीं होता है बरी चालों से

हैदर अली आतिश

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

पत्थर में फ़न के फूल खिला कर चला गया

हफ़ीज़ ताईब

है वज्ह-ए-सुकून-ए-दिल-ए-आशुफ़्ता-नवा भी

हाफ़िज़ लुधियानवी

ये सब कहने की बातें हैं कि ऐसा हो नहीं सकता

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

दिल पर लगा रही है वो नीची निगाह चोट

हफ़ीज़ जौनपुरी

रक़्क़ासा

हफ़ीज़ जालंधरी

वफ़ादारियाँ सख़्त नादानियाँ हैं

हफ़ीज़ जालंधरी

तीर चिल्ले पे न आना कि ख़ता हो जाना

हफ़ीज़ जालंधरी

शैख़ का ख़ौफ़ हमें हश्र का धड़का हम को

हफ़ीज़ जालंधरी

कम-बख़्त दिल बुरा हुआ तिरी आह आह का

हफ़ीज़ जालंधरी

इन गेसुओं में शाना-ए-अरमाँ न कीजिए

हफ़ीज़ जालंधरी

फिर से आराइश-ए-हस्ती के जो सामाँ होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

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