इकाई Poetry (page 8)

दयार-ए-शाम न बुर्ज-ए-सहर में रौशन हूँ

शहबाज़ नदीम ज़ियाई

हवा पर है ये बुनियाद-ए-मुसाफ़िर ख़ाना-ए-हस्ती

शाह नसीर

सरज़मीन-ए-ज़ुल्फ़ में क्या दिल ठिकाने लग गया

शाह नसीर

रंग मैला न हुआ जामा-ए-उर्यानी का

शाह नसीर

ख़ाल-ए-रुख़ उस ने दिखाया न दोबारा अपना

शाह नसीर

दिखा दो गर माँग अपनी शब को तो हश्र बरपा हो कहकशाँ पर

शाह नसीर

छोड़ा न तुझे ने राम क्या ये भी न हुआ वो भी न हुआ

शाह नसीर

इस्लाम और कुफ़्र हमारा ही नाम है

शाह आसिम

तस्वीर-ए-इज़्तिराब सरापा बना हुआ

शफ़क़त काज़मी

जो मुर्ग़-ए-क़िबला-नुमा बन के आशियाँ से चले

शाद लखनवी

दुनिया में क़स्र-ओ-ऐवाँ बे-फ़ाएदा बनाया

शाद लखनवी

जफ़ा-शिआ'र भी हो कोई मेहरबाँ भी रहे

शाद बिलगवी

सुनी हिकायत-ए-हस्ती तो दरमियाँ से सुनी

शाद अज़ीमाबादी

था अजल का मैं अजल का हो गया

शाद अज़ीमाबादी

सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया

शाद अज़ीमाबादी

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी

शब्बीर शाहिद

आँसू शो'लों में ढल रहे हैं

शायर लखनवी

तुम से उल्फ़त के तक़ाज़े न निबाहे जाते

शानुल हक़ हक़्क़ी

गुज़रने को तो गुज़रे जा रहे हैं राह-ए-हस्ती से

सेहर इश्क़ाबादी

वो जो फ़िरदौस-ए-नज़र है आईना-ख़ाना अभी

सेहर इश्क़ाबादी

फ़रिश्ते भी पहुँच सकते नहीं वो है मकाँ अपना

सेहर इश्क़ाबादी

कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की

सीमाब अकबराबादी

शुक्रिया हस्ती का! लेकिन तुम ने ये क्या कर दिया

सीमाब अकबराबादी

शाम-ए-फ़ुर्क़त इंतिहा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है

सीमाब अकबराबादी

जो मेरे तंगना-ए-दिल में तुझ को जल्वा-गर देखा

सीमाब अकबराबादी

जहान-ए-रंग-ओ-बू में मुस्तक़िल तख़्लीक़-ए-मस्ती है

सीमाब अकबराबादी

इजाज़त दे कि अपनी दास्तान-ए-ग़म बयाँ कर लें

सीमाब अकबराबादी

दिल तेरे तग़ाफ़ुल से ख़बर-दार न हो जाए

सीमाब अकबराबादी

चमक जुगनू की बर्क़-ए-बे-अमाँ मालूम होती है

सीमाब अकबराबादी

ब-क़ैद-ए-वक़्त ये मुज़्दा सुना रहा है कोई

सीमाब अकबराबादी

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