कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की
कि आँखें बंद हूँ और आदमी अफ़्साना हो जाए
Jaun Eliya
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Parveen Shakir
Anwar Masood
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Gulzar
Ahmad Faraz
Faiz Ahmad Faiz
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(880) Peoples Rate This
कहानी मेरी रूदाद-ए-जहाँ मालूम होती है
शुक्रिया हस्ती का! लेकिन तुम ने ये क्या कर दिया
वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे
आओ फिर गर्मी दयार-ए-इश्क़ में पैदा करें
हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना
जो इंसाँ बारयाब-ए-पर्दा-ए-असरार हो जाए
ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना दे
क्यूँ जाम-ए-शराब-ए-नाब माँगूँ
बदन से रूह रुख़्सत हो रही है
हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी
ज़ब्त से ना-आश्ना हम सब्र से बेगाना हम