जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की
उस वक़्त अपने दिल की तरफ़ मुस्कुरा के देख
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वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे
'सीमाब' दिल हवादिस-ए-दुनिया से बुझ गया
ये शराब-ए-इश्क़ ऐ 'सीमाब' है पीने की चीज़
ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
कहानी मेरी रूदाद-ए-जहाँ मालूम होती है
माज़ी-ए-मरहूम की नाकामियों का ज़िक्र छोड़
सहरा से बार बार वतन कौन जाएगा
जल्वा-गाह-ए-दिल में मरते ही अँधेरा हो गया
ख़ुलूस-ए-दिल से सज्दा हो तो उस सज्दे का क्या कहना
वो दुनिया थी जहाँ तुम बंद करते थे ज़बाँ मेरी
हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना दे
सारे चमन को मैं तो समझता हूँ अपना घर