हुस्न में जब नाज़ शामिल हो गया
एक पैदा और क़ातिल हो गया
Allama Iqbal
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(792) Peoples Rate This
कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की
बरसात
मिरी दीवानगी पर होश वाले बहस फ़रमाएँ
वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे
लहू से मैं ने लिखा था जो कुछ दीवार-ए-ज़िंदाँ पर
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
बड़ी दिलचस्पियों से सुब्ह-ए-शाम-ए-ज़िंदगी होगी
अंजाम हर इक शय का ब-जुज़ ख़ाक नहीं है
तअ'ज्जुब क्या लगी जो आग ऐ 'सीमाब' सीने में
कमाल-ए-इलम ओ तहक़ीक़-ए-मुकम्मल का ये हासिल है
तेरे जल्वों ने मुझे घेर लिया है ऐ दोस्त
दिल तेरे तग़ाफ़ुल से ख़बर-दार न हो जाए