मिरी दीवानगी पर होश वाले बहस फ़रमाएँ
मगर पहले उन्हें दीवाना बनने की ज़रूरत है
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Gulzar
Jaun Eliya
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(552) Peoples Rate This
वुसअतें महदूद हैं इदराक-ए-इंसाँ के लिए
मुरत्तब हो के इक महशर ग़ुबार-ए-दिल से निकलेगा
रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो
मोहब्बत में इक ऐसा वक़्त भी आता है इंसाँ पर
सुबू पर जाम पर शीशे पे पैमाने पे क्या गुज़री
ये मेरी तीरा-नसीबी ये सादगी ये फ़रेब
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
ये शराब-ए-इश्क़ ऐ 'सीमाब' है पीने की चीज़
बरसात
जिंदान-ए-काएनात में महसूर कर दिया
शाम-ए-फ़ुर्क़त इंतिहा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है
बड़ी दिलचस्पियों से सुब्ह-ए-शाम-ए-ज़िंदगी होगी