मिरी ख़ामोशियों पर दुनिया मुझ को तअन देती है
ये क्या जाने कि चुप रह कर भी की जाती हैं तक़रीरें
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हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना दे
छुपाता हूँ मगर छुपता नहीं दर्द-ए-निहाँ फिर भी
हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना
सुकूँ-पज़ीर जुनून-ए-शबाब हो न सका
आओ फिर गर्मी दयार-ए-इश्क़ में पैदा करें
जरस है कारवान-ए-अहल-ए-आलम में फ़ुग़ाँ मेरी
ख़ुलूस-ए-दिल से सज्दा हो तो उस सज्दे का क्या कहना
आँख से टपका जो आँसू वो सितारा हो गया
ये शराब-ए-इश्क़ ऐ 'सीमाब' है पीने की चीज़
बरसात
आ अपने दिल में मेरी तमन्ना लिए हुए
क़फ़स की तीलियों में जाने क्या तरकीब रक्खी है