क्यूँ जाम-ए-शराब-ए-नाब माँगूँ
साक़ी की नज़र में क्या नहीं है
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Habib Jalib
Wasi Shah
Gulzar
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(527) Peoples Rate This
जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की
क़फ़स की तीलियों में जाने क्या तरकीब रक्खी है
जल्वा-गाह-ए-दिल में मरते ही अँधेरा हो गया
इश्क़ ख़ुद माइल-ए-हिजाब है आज
ख़ुद उठ के हाथ मेरे गरेबाँ में आ गए
रंग भरते हैं वफ़ा का जो तसव्वुर में तिरे
गुनाहों पर वही इंसान को मजबूर करती है
कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की
है हुसूल-ए-आरज़ू का राज़ तर्क-ए-आरज़ू
अब क्या बताऊँ मैं तिरे मिलने से क्या मिला
बदन से रूह रुख़्सत हो रही है
नाहक़ शिकायत-ए-ग़म-ए-दुनिया करे कोई