हिज्र Poetry (page 16)

जो बात तुझ से चाही है अपना मिज़ाज आज

इंशा अल्लाह ख़ान

मुझे साँसों की है थोड़ पिया

इंजील सहीफ़ा

कभी मुड़ के फिर इसी राह पर न तो आए तुम न तो आए हम

इन्दिरा वर्मा

जिस रोज़ तिरे हिज्र से फ़ुर्सत में रहूँगा

इनाम नदीम

दर-ए-उमीद मुक़फ़्फ़ल नहीं हुआ अब तक

इनआम आज़मी

हम न दुनिया के हैं न दीं के हैं

इमरान-उल-हक़ चौहान

भूक कम कम है प्यास कम कम है

इमरान शनावर

तारे गिनते रात कटती ही नहीं आती है नींद

इमदाद अली बहर

साक़ी तिरे बग़ैर है महफ़िल से दिल उचाट

इमदाद अली बहर

कभी तो देखे हमारी अरक़-फ़िशानी धूप

इमदाद अली बहर

जल्वा-ए-अर्बाब-ए-दुनिया देखिए

इमदाद अली बहर

चूर सदमों से हो बईद नहीं

इमदाद अली बहर

ख़्वाब ही में नज़र आ जाए शब-ए-हिज्र कहीं

इमाम बख़्श नासिख़

आ गया जब से नज़र वो शोख़ हरजाई मुझे

इमाम बख़्श नासिख़

ज़ीस्त-मिज़ाजों का नौहा

इलियास बाबर आवान

थोड़ी चाँदी थोड़ा गारा लगता है

इलियास बाबर आवान

जी चाहता है जीना जज़्बात के मुताबिक़

इफ़्तिख़ार राग़िब

छोड़ा न मुझे दिल ने मिरी जान कहीं का

इफ़्तिख़ार राग़िब

अच्छे दिनों की आस लगा कर मैं ने ख़ुद को रोका है

इफ़्तिख़ार राग़िब

ख़ुद को हुजूम-ए-दहर में खोना पड़ा मुझे

इफ़्तिख़ार नसीम

सवाद-ए-हिज्र में रक्खा हुआ दिया हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

सवाद-ए-हिज्र में रक्खा हुआ दिया हूँ मैं

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रख-रखाव में कोई ख़्वार नहीं होता यार

इफ़्तिख़ार मुग़ल

रात भर दर्द की बरसात में धोई हुई सुब्ह

इफ़्तिख़ार बुख़ारी

हवाएँ अन-पढ़ हैं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

सर-ए-बाम-ए-हिज्र दिया बुझा तो ख़बर हुई

इफ़्तिख़ार आरिफ़

समझ रहे हैं मगर बोलने का यारा नहीं

इफ़्तिख़ार आरिफ़

मुल्क-ए-सुख़न में दर्द की दौलत को क्या हुआ

इफ़्तिख़ार आरिफ़

कहीं से कोई हर्फ़-ए-मो'तबर शायद न आए

इफ़्तिख़ार आरिफ़

रहमतों में तिरी आग़ोश की पाले गए हम

इफ़्फ़त अब्बास

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