हिज्र Poetry (page 18)

कभी शाम-ए-हिज्र गुज़ारते कभी ज़ुल्फ़-ए-यार सँवारते

हसन रिज़वी

ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है

हसन नईम

तशवीश

हसन नईम

ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है

हसन नईम

मैं तर्क-ए-तअल्लुक़ पे भी आमादा हूँ लेकिन

हसन अब्बास रज़ा

शाएरी पूरा मर्द और पूरी औरत माँगती है

हसन अब्बास रज़ा

ज़मीं सरकती है फिर साएबान टूटता है

हसन अब्बास रज़ा

किसी के हिज्र में यूँ टूट कर रोया नहीं करते

हसन अब्बास रज़ा

घर लौटते हैं जब भी कोई यार गँवा कर

हसन अब्बास रज़ा

उन्हें देखते ही फ़िदा हो गए हम

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

न वो वलवले हैं दिल में न वो आलम-ए-जवानी

हंस राज सचदेव 'हज़ीं'

मिरी हयात अगर मुज़्दा-ए-सहर भी नहीं

हनीफ़ फ़ौक़

मैं जो अपने हाल से कट गया तो कई ज़मानों में बट गया

हनीफ़ असअदी

यादों का शहर-ए-दिल में चराग़ाँ नहीं रहा

हनीफ़ अख़गर

इस तरह मह-रुख़ों को पशेमाँ करेंगे हम

हनीफ़ अख़गर

असर देखा दुआ जब रात-भर की

हामिदुल्लाह अफ़सर

मौसम-ए-हिज्र के आने के शिकायत नहीं की

हलीम कुरेशी

वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम

हैदर अली आतिश

ताक़-ए-अबरू हैं पसंद-ए-तब्अ इक दिल-ख़्वाह के

हैदर अली आतिश

मिरे दिल को शौक़-ए-फ़ुग़ाँ नहीं मिरे लब तक आती दुआ नहीं

हैदर अली आतिश

हंगाम-ए-नज़'अ महव हूँ तेरे ख़याल का

हैदर अली आतिश

दहन पर हैं उन के गुमाँ कैसे कैसे

हैदर अली आतिश

बरगश्ता-तालई का तमाशा दिखाऊँ मैं

हैदर अली आतिश

ऐसी वहशत नहीं दिल को कि सँभल जाऊँगा

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

आबले पावँ के क्या तू ने हमारे तोड़े

हैदर अली आतिश

हर शे'र ग़ज़ल का कह रहा है

हाफ़िज़ लुधियानवी

है वज्ह-ए-सुकून-ए-दिल-ए-आशुफ़्ता-नवा भी

हाफ़िज़ लुधियानवी

आज यूँ दर्द तिरा दिल के उफ़ुक़ पर चमका

हाफ़िज़ लुधियानवी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

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