हिज्र Poetry (page 26)

कितने मौसम सरगर्दां थे मुझ से हाथ मिलाने में

अज़्म बहज़ाद

कहीं गोयाई के हाथों समाअत रो रही है

अज़्म बहज़ाद

सोज़िश-ए-ग़म के सिवा काहिश-ए-फ़ुर्क़त के सिवा

अज़ीज़ वारसी

दिल में हमारे अब कोई अरमाँ नहीं रहा

अज़ीज़ वारसी

आएँगे नज़र सुब्ह के आसार में हम लोग

अज़ीज़ नबील

उठाईं हिज्र की शब दिल ने आफ़तें क्या क्या

अज़ीज़ हैदराबादी

न फ़ासले कोई निकले न क़ुर्बतें निकलीं

अज़ीज़ हामिद मदनी

आज मुक़ाबला है सख़्त मीर-ए-सिपाह के लिए

अज़ीज़ हामिद मदनी

चाक-ए-दामान-ए-क़बा दाग़-ए-जुनूँ-साज़ बहुत

अज़हर नक़वी

ये बार-ए-ग़म भी उठाया नहीं बहुत दिन से

अज़हर इक़बाल

वही यकसानियत-ए-शाम-ओ-सहर है कि जो थी

अज़ीम मुर्तज़ा

ग़म का ये सलीक़ा भी रह गया है अब हम तक

अज़ीम मुर्तज़ा

तिलिस्म-ए-इस्म-ए-मोहब्बत है दरपय-ए-दर-ए-दिल

अय्यूब ख़ावर

हवा के रुख़ पे रह-ए-ए'तिबार में रक्खा

अय्यूब ख़ावर

इक तुम कि हो बे-ख़बर सदा के

अय्यूब ख़ावर

चराग़-ए-क़ुर्ब की लौ से पिघल गया वो भी

अय्यूब ख़ावर

बर्ग-ए-गुल शाख़-ए-हिज्र का कर दे

अय्यूब ख़ावर

ख़दशे थे शाम-ए-हिज्र के सुब्ह-ए-ख़ुशी के साथ

औलाद अली रिज़वी

कितना मुश्किल है

अतीक़ुल्लाह

आसमाँ का सितारा न महताब है

अतीक़ुल्लाह

दुनिया से हुए बैठे हो रू-पोश ऐ जाना

आतिफ़ ख़ान

यही बहुत है कि अहबाब पूछ लेते हैं

अतहर नासिक

मैं तुझे भूलना चाहूँ भी तो ना-मुम्किन है

अतहर नासिक

वो इश्क़ जो हम से रूठ गया अब उस का हाल बताएँ क्या

अतहर नफ़ीस

मिस्ल-ए-बाद-ए-सबा तेरे कूचे में ऐ जान-ए-जाँ आए हैं

अतहर नफ़ीस

हम भी बदल गए तिरी तर्ज़-ए-अदा के साथ साथ

अतहर नफ़ीस

दिल की मसर्रतें नई जाँ का मलाल है नया

अतहर नफ़ीस

'अतहर' तुम ने इश्क़ किया कुछ तुम भी कहो क्या हाल हुआ

अतहर नफ़ीस

अन-गिनत अज़ाब हैं रतजगों के दरमियाँ

अतीक़ुर्रहमान सफ़ी

ज़ब्त की हद से हो के गुज़रना सो जाना

अतीक़ इलाहाबादी

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