हिज्र Poetry (page 24)

नए सफ़र में जो पिछले सफ़र के साथी थे

एजाज़ उबैद

कभी क़तार से बाहर कभी क़तार के बीच

एजाज़ गुल

ये घूमता हुआ आईना अपना ठहरा के

एजाज़ गुल

थम गई वक़्त की रफ़्तार तिरे कूचे में

एजाज़ गुल

कभी क़तार से बाहर कभी क़तार के बीच

एजाज़ गुल

इतना तिलिस्म याद के चक़माक़ में रहा

एजाज़ गुल

दर खोल के देखूँ ज़रा इदराक से बाहर

एजाज़ गुल

कितना कमज़ोर है ईमान पता लगता है

अहया भोजपुरी

डर डर के जिसे मैं सुन रहा हूँ

एहतिशाम हुसैन

अब कहो कारवाँ किधर को चले

एहसान दानिश

जो भी निकले तिरी आवाज़ लगाता निकले

दिनेश नायडू

कब तक फिरूंगा हाथ में कासा उठा के मैं

दिलावर अली आज़र

बना रहा था कोई आब ओ ख़ाक से कुछ और

दिलावर अली आज़र

तुझ हिज्र की अगन कूँ बूझाने ऐ संग दिल

दाऊद औरंगाबादी

जग है मुश्ताक़ पिव के दर्शन का

दाऊद औरंगाबादी

फ़रियाद सदा-ए-नफ़स आवाज़-ए-जरस है

दाऊद औरंगाबादी

शब-ए-वस्ल ज़िद में बसर हो गई

दाग़ देहलवी

निगाह-ए-शोख़ जब उस से लड़ी है

दाग़ देहलवी

मुमकिन नहीं कि तेरी मोहब्बत की बू न हो

दाग़ देहलवी

इस क़दर नाज़ है क्यूँ आप को यकताई का

दाग़ देहलवी

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया

दाग़ देहलवी

दिल गया तुम ने लिया हम क्या करें

दाग़ देहलवी

अभी हमारी मोहब्बत किसी को क्या मालूम

दाग़ देहलवी

जब सर-ए-बाम वो ख़ुर्शीद-जमाल आता है

चरख़ चिन्योटी

बे-ख़ुदी में है न वो पी कर सँभल जाने में है

चरख़ चिन्योटी

रामायण का एक सीन

चकबस्त ब्रिज नारायण

मंज़रों के दरमियाँ मंज़र बनाना चाहिए

बुशरा एजाज़

दिल में है तलब और दुआ और तरह की

बुशरा एजाज़

ज़ौ-बार इसी सम्त हुए शम्स-ओ-क़मर भी

ब्रहमा नन्द जलीस

इक दिखावा रह गया बस दिल से वो चाहत गई

बिलाल अहमद

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