हिज्र Poetry (page 31)

किसी के हिज्र में जीना मुहाल हो गया है

अजमल सिराज

जो अश्क बरसा रहे हैं साहिब

अजमल सिराज

कभी ख़ौफ़ था तिरे हिज्र का कभी आरज़ू के ज़वाल का

अजमल सिद्दीक़ी

न नज़र से कोई गुज़र सका न ही दिल से मलबा हटा सका

अजमल सिद्दीक़ी

ख़त जो तेरे नाम लिखा, तकिए के नीचे रखता हूँ

अजमल सिद्दीक़ी

वो जो फूल थे तिरी याद के तह-ए-दस्त-ए-ख़ार चले गए

अजय सहाब

ये ठीक है कि बहुत वहशतें भी ठीक नहीं

ऐतबार साजिद

वो पहली जैसी वहशतें वो हाल ही नहीं रहा

ऐतबार साजिद

तर्क-ए-तअल्लुक़ कर तो चुके हैं इक इम्कान अभी बाक़ी है

ऐतबार साजिद

रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी सा हो गया

ऐतबार साजिद

मुझे ऐसा लुत्फ़ अता किया कि जो हिज्र था न विसाल था

ऐतबार साजिद

किसी ने दिल के ताक़ पर जला के रख दिया हमें

ऐतबार साजिद

कहा तख़्लीक़-ए-फ़न बोले बहुत दुश्वार तो होगी

ऐतबार साजिद

कभी तू ने ख़ुद भी सोचा कि ये प्यास है तो क्यूँ है

ऐतबार साजिद

बहुत सजाए थे आँखों में ख़्वाब मैं ने भी

ऐतबार साजिद

जुरअत ऐ दिल मय ओ मीना है वो ख़ुद-काम भी है

ऐश देहलवी

है एक ही लम्हा जो कहीं वस्ल कहीं हिज्र

ऐन ताबिश

आवारा भटकता रहा पैग़ाम किसी का

ऐन ताबिश

क्यूँ चुप हैं वो बे-बात समझ में नहीं आता

अहसन मारहरवी

मक़ाम-ए-हिज्र कहीं इम्तिहाँ से ख़ाली है

अहमद निसार

उम्र का आख़िरी दिन

अहमद ज़फ़र

मैं यूँ तो नहीं है कि मोहब्बत में नहीं था

अहमद ज़फ़र

और क्या मेरे लिए अरसा-ए-महशर होगा

अहमद ज़फ़र

गहराइयों से मुझ को किसी ने निकाल के

अहमद वसी

शब ढले गुम्बद-ए-असरार में आ जाता है

अहमद रिज़वान

ख़ुदा करे कि तिरी उम्र में गिने जाएँ

अहमद नदीम क़ासमी

शुऊर में कभी एहसास में बसाऊँ उसे

अहमद नदीम क़ासमी

जो लोग दुश्मन-ए-जाँ थे वही सहारे थे

अहमद नदीम क़ासमी

जब भी आँखों में तिरी रुख़्सत का मंज़र आ गया

अहमद नदीम क़ासमी

यही दुनिया थी मगर आज भी यूँ लगता है

अहमद मुश्ताक़

Collection of Hindi Poetry. Get Best Hindi Shayari, Poems and ghazal. Read shayari Hindi, poetry by famous Hindi and Urdu poets. Share poetry hindi on Facebook, Whatsapp, Twitter and Instagram.