प्रेम Poetry (page 57)

लिबास-ए-यार को मैं पारा-पारा क्या करता

हैदर अली आतिश

क्या क्या न रंग तेरे तलबगार ला चुके

हैदर अली आतिश

कोई इश्क़ में मुझ से अफ़्ज़ूँ न निकला

हैदर अली आतिश

कोई अच्छा नहीं होता है बरी चालों से

हैदर अली आतिश

ख़ार मतलूब जो होवे तो गुलिस्ताँ माँगूँ

हैदर अली आतिश

जौहर नहीं हमारे हैं सय्याद पर खुले

हैदर अली आतिश

जाँ-बख़्श लब के इश्क़ में ईज़ा उठाइए

हैदर अली आतिश

इंसाफ़ की तराज़ू में तौला अयाँ हुआ

हैदर अली आतिश

हुस्न किस रोज़ हम से साफ़ हुआ

हैदर अली आतिश

हुबाब-आसा में दम भरता हूँ तेरी आश्नाई का

हैदर अली आतिश

हसरत-ए-जल्वा-ए-दीदार लिए फिरती है

हैदर अली आतिश

है जब से दस्त-ए-यार में साग़र शराब का

हैदर अली आतिश

ग़म नहीं गो ऐ फ़लक रुत्बा है मुझ को ख़ार का

हैदर अली आतिश

दिल-लगी अपनी तिरे ज़िक्र से किस रात न थी

हैदर अली आतिश

दिल शहीद-ए-रह-ए-दामान न हुआ था सो हुआ

हैदर अली आतिश

दिल की कुदूरतें अगर इंसाँ से दूर हों

हैदर अली आतिश

चमन में रहने दे कौन आशियाँ नहीं मा'लूम

हैदर अली आतिश

बुलबुल को ख़ार ख़ार-ए-दबिस्ताँ है इन दिनों

हैदर अली आतिश

बाज़ार-ए-दहर में तिरी मंज़िल कहाँ न थी

हैदर अली आतिश

बला-ए-जाँ मुझे हर एक ख़ुश-जमाल हुआ

हैदर अली आतिश

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है

हैदर अली आतिश

आश्ना गोश से उस गुल के सुख़न है किस का

हैदर अली आतिश

आरिफ़ है वो जो हुस्न का जूया जहाँ में है

हैदर अली आतिश

आइना-ख़ाना करेंगे दिल-ए-नाकाम को हम

हैदर अली आतिश

आइना सीना-ए-साहब-नज़राँ है कि जो था

हैदर अली आतिश

काफ़िर-ए-इश्क़ को क्या दैर-ओ-हरम से मतलब

हफ़ीज़ जौनपुरी

यही मसअला है जो ज़ाहिदो तो मुझे कुछ इस में कलाम है

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुन के मेरे इश्क़ की रूदाद को

हफ़ीज़ जौनपुरी

सुब्ह को आए हो निकले शाम के

हफ़ीज़ जौनपुरी

शब-ए-विसाल ये कहते हैं वो सुना के मुझे

हफ़ीज़ जौनपुरी

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