प्रेम Poetry (page 59)

नर्गिस पे तो इल्ज़ाम लगा बे-बसरी का

हफ़ीज़ होशियारपुरी

मोहब्बत करने वाले कम न होंगे

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ग़म-ए-आफ़ाक़ है रुस्वा ग़म-ए-दिल-बर बन के

हफ़ीज़ होशियारपुरी

ऐसी भी क्या जल्दी प्यारे जाने मिलें फिर या न मिलें हम

हफ़ीज़ होशियारपुरी

अब कोई आरज़ू नहीं शौक़-ए-पयाम के सिवा

हफ़ीज़ होशियारपुरी

क्या जुर्म हमारा है बता क्यूँ नहीं देते

हफ़ीज़ बनारसी

इश्क़ में हर नफ़स इबादत है

हफ़ीज़ बनारसी

दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए

हफ़ीज़ बनारसी

दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए

हफ़ीज़ बनारसी

तू न हो हम-नफ़स अगर जीने का लुत्फ़ ही नहीं

हादी मछलीशहरी

महव-ए-कमाल-ए-आरज़ू मुझ को बना के भूल जा

हादी मछलीशहरी

खोया हुआ सा रहता हूँ अक्सर मैं इश्क़ में

हादी मछलीशहरी

हज़ार ख़ाक के ज़र्रों में मिल गया हूँ मैं

हादी मछलीशहरी

कॉफ़ी-हाउस

हबीब जालिब

ज़र्रे ही सही कोह से टकरा तो गए हम

हबीब जालिब

झूटी ख़बरें घड़ने वाले झूटे शे'र सुनाने वाले

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

गुलशन की फ़ज़ा धुआँ धुआँ है

हबीब जालिब

वो उट्ठे हैं तेवर बदलते हुए

हबीब मूसवी

किसी की जुब्बा-साई से कभी घिसता नहीं पत्थर

हबीब मूसवी

हुए ख़ल्क़ जब से जहाँ में हम हवस-ए-नज़ारा-ए-यार है

हबीब मूसवी

गुलों का दौर है बुलबुल मज़े बहार में लूट

हबीब मूसवी

फ़िराक़ में दम उलझ रहा है ख़याल-ए-गेसू में जांकनी है

हबीब मूसवी

भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा

हबीब मूसवी

बढ़ा दी इक नज़र में तू ने क्या तौक़ीर पत्थर की

हबीब मूसवी

अक़्ल पर पत्थर पड़े उल्फ़त में दीवाना हुआ

हबीब मूसवी

पहलू में इक नई सी ख़लिश पा रहा हूँ मैं

हबीब अशअर देहलवी

या दैर है या काबा है या कू-ए-बुताँ है

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

कभी बे-कली कभी बे-दिली है अजीब इश्क़ की ज़िंदगी

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

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