या दैर है या काबा है या कू-ए-बुताँ है
ऐ इश्क़ तिरी फ़ितरत-ए-आज़ाद कहाँ है
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कुछ भी दुश्वार नहीं अज़्म-ए-जवाँ के आगे
अब बहुत दूर नहीं मंज़िल-ए-दोस्त
बताए कौन किसी को निशान-ए-मंज़िल-ज़ीस्त
फ़ैज़-ए-अय्याम-ए-बहार अहल-ए-क़फ़स क्या जानें
निगाह-ए-लुत्फ़ को उल्फ़त-शिआर समझे थे
मौत के ब'अद भी मरने पे न राज़ी होना
आफ़ियत की उम्मीद क्या कि अभी
हाए बे-दाद-ए-मोहब्बत कि ये ईं बर्बादी
कितने सनम ख़ुद हम ने तराशे
अपने दामन में एक तार नहीं
वो करम हो कि सितम एक तअल्लुक़ है ज़रूर
गुलों से इतनी भी वाबस्तगी नहीं अच्छी