जाम Poetry (page 32)

म्यूजियम

अहमद ज़फ़र

फूलों में एक रंग है आँखों के नीर का

अहमद शनास

गर्दिश-ए-जाम नहीं गर्दिश-ए-अय्याम तो है

अहमद राही

आफ़्ताब आए चमक कर जो सर-ए-जाम-ए-शराब

अहमद हुसैन माइल

शिद्दत-ए-तिश्नगी में भी ग़ैरत-ए-मय-कशी रही

अहमद फ़राज़

साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले

अहमद फ़राज़

नामा-ए-जानाँ

अहमद फ़राज़

कर गए कूच कहाँ

अहमद फ़राज़

दोस्ती का हाथ

अहमद फ़राज़

ये बे-दिली है तो कश्ती से यार क्या उतरें

अहमद फ़राज़

उस ने सुकूत-ए-शब में भी अपना पयाम रख दिया

अहमद फ़राज़

तड़प उठूँ भी तो ज़ालिम तिरी दुहाई न दूँ

अहमद फ़राज़

साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले

अहमद फ़राज़

कल हम ने बज़्म-ए-यार में क्या क्या शराब पी

अहमद फ़राज़

पहले हम अश्क थे फिर दीदा-ए-नम-नाक हुए

अहमद अता

इक अश्क बहा होगा

अहमद अता

कौन है किस का ये पैग़ाम है क्या अर्ज़ करूँ

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

लाख लाख एहसान जिस ने दर्द पैदा कर दिया

आग़ा शाएर क़ज़लबाश

धनक में सर थे तिरी शाल के चुराए हुए

अफ़ज़ाल नवेद

सितम की तेग़ पे ये दस्त-ए-बे-नियाम रक्खा

अफ़ज़ाल अहमद सय्यद

पाता नहीं हूँ और किसी काम से लज़्ज़त

आफ़ताब शाह आलम सानी

तमीज़-ए-पिसर-ए-ज़मीन व इब्न-ए-फ़लक न करना

आफ़ताब इक़बाल शमीम

तमीज़-ए-फ़र्ज़ंद-ए-अर्ज़-ओ-इब्न-ए-फ़लक न करना

आफ़ताब इक़बाल शमीम

वो सर से पाँव तक है ग़ज़ब से भरा हुआ

आफ़ताब हुसैन

किसी नज़र ने मुझे जाम पर लगाया हुआ है

आफ़ताब हुसैन

नश्शा सा डोलता है तिरे अंग अंग पर

आदिल मंसूरी

दरिया की वुसअतों से उसे नापते नहीं

आदिल मंसूरी

जीता है सिर्फ़ तेरे लिए कौन मर के देख

आदिल मंसूरी

गाँठी है उस ने दोस्ती इक पेश-इमाम से

आदिल मंसूरी

उस को जब कि मिरे अंजाम से कुछ काम नहीं

अदील ज़ैदी

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