जाम Poetry (page 3)

वो निगाह मिल के निगाह से ब-अदा-ए-ख़ास झिझक गई

वक़ार बिजनोरी

न पूछो बेबसी उस तिश्ना-लब की

वामिक़ जौनपुरी

कहीं साक़ी का फ़ैज़-ए-आम भी है

वामिक़ जौनपुरी

हमारे मय-कदे का अब निज़ाम बदलेगा

वामिक़ जौनपुरी

हालात से फ़रार की क्या जुस्तुजू करें

वामिक़ जौनपुरी

दिल अज़ल से मरकज़-ए-आलाम है

वामिक़ जौनपुरी

अपना एजाज़ दिखा दे साक़ी

वामिक़ जौनपुरी

कभी जब दास्तान-ए-गर्दिश-ए-अय्याम लिखता हूँ

वलीउल्लाह वली

दिला ये मय-कदा-ए-इश्क़ है शराब तू पी

वलीउल्लाह मुहिब

बुलबुल वो गुल है ख़्वाब में तू गा के मत जगा

वलीउल्लाह मुहिब

जुनूँ-आवर शब-ए-महताब थी पी की तमन्ना में

वली उज़लत

जपे है विर्द सा तुझ से सनम के नाम को शैख़

वली उज़लत

है उस की ज़ुल्फ़ से नित पंजा-ए-अदू गुस्ताख़

वली उज़लत

दर्द जूँ शम्अ' मिले है शब-ए-हिज्राँ मुझ को

वली उज़लत

सोहबत-ए-ग़ैर मूं जाया न करो

वली मोहम्मद वली

मैं आशिक़ी में तब सूँ अफ़्साना हो रहा हूँ

वली मोहम्मद वली

जब तुझ अरक़ के वस्फ़ में जारी क़लम हुआ

वली मोहम्मद वली

मुसल्ला रखते हैं सहबा-ओ-जाम रखते हैं

वाली आसी

अल्लाह ऐ बुतो हमें दिखलाए लखनऊ

वाजिद अली शाह अख़्तर

शौक़ देता है मुझे पैग़ाम-ए-इश्क़

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

नालों से अगर मैं ने कभी काम लिया है

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

मैं ने माना काम है नाला दिल-ए-नाशाद का

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

हुए हैं गुम जिस की जुस्तुजू में उसी की हम जुस्तुजू करेंगे

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ऐ अहल-ए-वफ़ा ख़ाक बने काम तुम्हारा

वहशत रज़ा अली कलकत्वी

ग़म के हाथों शुक्र-ए-ख़ुदा है इश्क़ का चर्चा आम नहीं

वहीद क़ुरैशी

तन्हाई मुझे देखती है

वहीद अहमद

क़ज़ा जो दे तो इलाही ज़रा बदल के मुझे

वारिस किरमानी

वो ध्यान की राहों में जहाँ हम को मिलेगा

उर्फ़ी आफ़ाक़ी

रहने दे तकलीफ़-ए-तवज्जोह दिल को है आराम बहुत

उनवान चिश्ती

बदनाम हूँ पर आशिक़-ए-बदनाम तुम्हारा

तिलोकचंद महरूम

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