जाम Poetry (page 33)

ज़बाँ को हुक्म निगाह-ए-करम को पहचाने

अदा जाफ़री

ज़िंदगी ख़ाक-बसर शोला-ब-जाँ आज भी है

अबु मोहम्मद सहर

ख़ुदा के वास्ते ऐ यार हम सीं आ मिल जा

आबरू शाह मुबारक

कुछ है ख़बर फ़रिश्तों के जलते हैं पर कहाँ

अबरार शाहजहाँपुरी

पाबंद हर जफ़ा पे तुम्हारी वफ़ा के हैं

अब्दुल्ल्ला ख़ाँ महर लखनवी

उस की जाम-ए-जम आँखें शीशा-ए-बदन मेरा

अब्दुल्लाह कमाल

बड़ा मुख़्लिस हूँ पाबंद-ए-वफ़ा हूँ

अब्दुल्लाह कमाल

ख़ुश-क़दाँ जब ख़िराम करते हैं

अब्दुल वहाब यकरू

फिर आया जाम-ब-कफ़ गुल-एज़ार ऐ वाइज़

अब्दुल रहमान एहसान देहलवी

हम-नफ़सो उजड़ गईं मेहर-ओ-वफ़ा की बस्तियाँ

अब्दुल मजीद सालिक

आँखों से पिलाते रहो साग़र में न डालो

अब्दुल हमीद अदम

तही सा जाम तो था गिर के बह गया होगा

अब्दुल हमीद अदम

रक़्स करता हूँ जाम पीता हूँ

अब्दुल हमीद अदम

मुश्किल ये आ पड़ी है कि गर्दिश में जाम है

अब्दुल हमीद अदम

मय-ख़ाना-ए-हस्ती में अक्सर हम अपना ठिकाना भूल गए

अब्दुल हमीद अदम

ख़ाली है अभी जाम मैं कुछ सोच रहा हूँ

अब्दुल हमीद अदम

हँस हँस के जाम जाम को छलका के पी गया

अब्दुल हमीद अदम

ग़म-ए-मोहब्बत सता रहा है ग़म-ए-ज़माना मसल रहा है

अब्दुल हमीद अदम

दुआएँ दे के जो दुश्नाम लेते रहते हैं

अब्दुल हमीद अदम

दिल को दिल से काम रहेगा

अब्दुल हमीद अदम

भूले से कभी ले जो कोई नाम हमारा

अब्दुल हमीद अदम

आँखों से तिरी ज़ुल्फ़ का साया नहीं जाता

अब्दुल हमीद अदम

बहार बन के ख़िज़ाँ को न यूँ दिलासा दे

अब्दुल हफ़ीज़ नईमी

फूली है शफ़क़ गो कि अभी शाम नहीं है

अब्दुल अज़ीज़ ख़ालिद

अपनी हस्ती से था ख़ुद मैं बद-गुमाँ कल रात को

अब्दुल अलीम आसि

बद-सोहबतों को छोड़ शरीफ़ों के साथ घूम

अब्दुल अहद साज़

वही दर्द है वही बेबसी तिरे गाँव में मिरे शहर में

अब्बास दाना

अपने ही ख़ून से इस तरह अदावत मत कर

अब्बास दाना

क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

आसी उल्दनी

क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी

आसी उल्दनी

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