चलो चलें Poetry (page 68)

दोस्त बन कर भी नहीं साथ निभाने वाला

अहमद फ़राज़

ऐसा है कि सब ख़्वाब मुसलसल नहीं होते

अहमद फ़राज़

अभी कुछ और करिश्मे ग़ज़ल के देखते हैं

अहमद फ़राज़

अब शौक़ से कि जाँ से गुज़र जाना चाहिए

अहमद फ़राज़

अब क्या सोचें क्या हालात थे किस कारन ये ज़हर पिया है

अहमद फ़राज़

अब के तजदीद-ए-वफ़ा का नहीं इम्काँ जानाँ

अहमद फ़राज़

ऐसा इलाज-ए-हब्स-ए-दिल-ए-ज़ार चाहिए

अहमद अज़ीम

ये मिरा वहम तो कुछ और सुना जाता है

अहमद अता

मैं तिरी मानता लेकिन जो मिरा दिल है ना

अहमद अता

ख़्वाब का इज़्न था ता'बीर-ए-इजाज़त थी मुझे

अहमद अता

तुम जो आ जाओ ग़म धुआँ हो जाए

अहमद अशफ़ाक़

समझ रहा था जिसे ख़ैर-ख़्वाह मैं अपना

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

सुकून-ए-क़ल्ब किसी को नहीं मयस्सर आज

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

कर के असीर-ए-ग़म्ज़ा-ओ-नाज़-ओ-अदा मुझे

अहमद अली बर्क़ी आज़मी

दिल था कि ग़म-ए-जाँ था

आग़ाज़ बरनी

अगर कुछ ए'तिबार-ए-जिस्म-ओ-जाँ हो

आग़ाज़ बरनी

उड़ कर सुराग़-ए-कूचा-ए-दिलबर लगाइए

आग़ा हज्जू शरफ़

तिरे वास्ते जान पे खेलेंगे हम ये समाई है दिल में ख़ुदा की क़सम

आग़ा हज्जू शरफ़

तेरे आलम का यार क्या कहना

आग़ा हज्जू शरफ़

सलफ़ से लोग उन पे मर रहे हैं हमेशा जानें लिया करेंगे

आग़ा हज्जू शरफ़

रंग जिन के मिट गए हैं उन में यार आने को है

आग़ा हज्जू शरफ़

रहा करते हैं यूँ उश्शाक़ तेरी याद ओ हसरत में

आग़ा हज्जू शरफ़

परी-पैकर जो मुझ वहशी का पैराहन बनाते हैं

आग़ा हज्जू शरफ़

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

आग़ा हज्जू शरफ़

हुए ऐसे ब-दिल तिरे शेफ़्ता हम दिल-ओ-जाँ को हमेशा निसार किया

आग़ा हज्जू शरफ़

हवस गुलज़ार की मिस्ल-ए-अनादिल हम भी रखते थे

आग़ा हज्जू शरफ़

दिल को अफ़सोस-ए-जवानी है जवानी अब कहाँ

आग़ा हज्जू शरफ़

दरपेश अजल है गंज-ए-शहीदाँ ख़रिदिए

आग़ा हज्जू शरफ़

चलते हैं गुलशन-ए-फ़िरदौस में घर लेते हैं

आग़ा हज्जू शरफ़

हुस्न हीरे की कनी हो जैसे

अफ़ज़ल परवेज़

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