नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

नाहक़ ओ हक़ का उन्हें ख़ौफ़-ओ-ख़तर कुछ भी नहीं

बे-ख़बर हैं वो ज़माने की ख़बर कुछ भी नहीं

धूम ही धूम थी मदफ़न की मगर कुछ भी नहीं

ख़ाक इस घर में बसर होगी ये घर कुछ भी नहीं

हाए अफ़सोस हुई कौन सी सोहबत बरख़ास्त

शब को मेराज में थे वक़्त-ए-सहर कुछ भी नहीं

कह रही है ये मरे दिल से मोहब्बत उस की

हूँ तो इक्सीर मगर मुझ में असर कुछ भी नहीं

आ रही है ये सदा गोर के सन्नाटे से

मैं वो आलम हूँ जहाँ शाम-ओ-सहर कुछ भी नहीं

इस नज़ाकत से तो मैं काहे को बिस्मिल हूँगा

तुम छुरी फेरते हो मुझ को ख़बर कुछ भी नहीं

हातिफ़-ए-इश्क़ तो कहता है इधर सब कुछ है

आलम-ए-यास ये कहता है उधर कुछ भी नहीं

आँख फिर जाती है माशूक़ों की मायूसों से

ग़म-ज़दा कुछ नहीं हसरत की नज़र कुछ भी नहीं

तुर्बत-ए-क़ैस से कहती है लिपट कर लैला

हम तड़पते हैं पड़े तुम को ख़बर कुछ भी नहीं

मंज़िल-ए-गोर में क्या जानिए क्या गुज़रेगी

ताज़ा वारिद हैं अभी हम को ख़बर कुछ भी नहीं

लन-तरानी की जो ताकीद है ऐ दिल ये खुला

बाब-ए-दीदार में मंज़ूर-ए-नज़र कुछ भी नहीं

ख़्वाब देखा था कि था वस्ल की शब का सामान

जश्न था रात को हंगाम-ए-सहर कुछ भी नहीं

उस को गहरी इसे ये ओछी छुरी वाह ऐ यार

ज़ख़्म-ए-दिल घाव हुआ ज़ख़्म-ए-जिगर कुछ भी नहीं

रिश्ता-ए-जाँ से भी नाज़ुक है वो बारीकी में

गुल की रग फिर है गुदाज़ उस की कमर कुछ भी नहीं

क़ब्र में हूरों के आने का उठाएँ क्या लुत्फ़

दीदा ओ जिस्म ओ दिल ओ जान ओ जिगर कुछ भी नहीं

रास आ जाएगी जिस को वो उसे चाहेंगे

फिर मोहब्बत में सभी कुछ है अगर कुछ भी नहीं

मुतमइन हूँ रह-ए-इस्याँ में तिरी रहमत से

वो मुसाफ़िर हूँ कि तशवीश-ए-सफ़र कुछ भी नहीं

ऐ 'शरफ़' है गुल-ए-मक़सूद के हर-सू बौछार

वाह ऐ ख़ूबी-ए-क़िस्मत कि इधर कुछ भी नहीं

(714) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Nahaq O Haq Ka Unhen KHauf-o-KHatar Kuchh Bhi Nahin In Hindi By Famous Poet Agha Hajju Sharaf. Nahaq O Haq Ka Unhen KHauf-o-KHatar Kuchh Bhi Nahin is written by Agha Hajju Sharaf. Complete Poem Nahaq O Haq Ka Unhen KHauf-o-KHatar Kuchh Bhi Nahin in Hindi by Agha Hajju Sharaf. Download free Nahaq O Haq Ka Unhen KHauf-o-KHatar Kuchh Bhi Nahin Poem for Youth in PDF. Nahaq O Haq Ka Unhen KHauf-o-KHatar Kuchh Bhi Nahin is a Poem on Inspiration for young students. Share Nahaq O Haq Ka Unhen KHauf-o-KHatar Kuchh Bhi Nahin with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.