जोश Poetry (page 8)

मायूस-ए-अज़ल हूँ ये माना नाकाम-ए-तमन्ना रहना है

दिल शाहजहाँपुरी

रात

दाऊद ग़ाज़ी

राहत कहाँ नसीब थी जो अब कहीं नहीं

दत्तात्रिया कैफ़ी

इक अदा मस्ताना सर से पाँव तक छाई हुई

दाग़ देहलवी

भवें तनती हैं ख़ंजर हाथ में है तन के बैठे हैं

दाग़ देहलवी

है मिरा ज़ब्त-ए-जुनूँ जोश-ए-जुनूँ से बढ़ कर

चकबस्त ब्रिज नारायण

मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले

चकबस्त ब्रिज नारायण

मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कहीं ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना

चकबस्त ब्रिज नारायण

याद आता है समाँ मुझ को ख़ुद-आराई का

बिस्मिल इलाहाबादी

साज़-ए-हस्ती का अजब जोश नज़र आता है

बिस्मिल इलाहाबादी

ये साक़ी की करामत है कि फ़ैज़-ए-मय-परस्ती है

बेदम शाह वारसी

में ग़श में हूँ मुझे इतना नहीं होश

बेदम शाह वारसी

बुत भी इस में रहते थे दिल यार का भी काशाना था

बेदम शाह वारसी

नहीं ये जल्वा-हा-ए-राज़-ए-इरफ़ाँ देखने वाले

बासित भोपाली

हिन्द के जाँ-बाज़ सिपाही

बर्क़ देहलवी

तारे दर्द के झोंके बन कर आते हैं

बाक़ी सिद्दीक़ी

ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

ख़ाल-ए-लब आफ़त-ए-जाँ था मुझे मालूम न था

बक़ा उल्लाह 'बक़ा'

ऐ कहकशाँ-नवाज़ मुक़द्दर उजाल दे

बाक़र नक़वी

दर्द-ए-दिल आज भी है जोश-ए-वफ़ा आज भी है

बाक़र मेहदी

ज़ुल्फ़ जो रुख़ पर तिरे ऐ मेहर-ए-तलअत खुल गई

ज़फ़र

करेंगे क़स्द हम जिस दम तुम्हारे घर में आवेंगे

ज़फ़र

इतना न अपने जामे से बाहर निकल के चल

ज़फ़र

इक हूक सी जब दिल में उट्ठी जज़्बात हमारे आ पहुँचे

बीएस जैन जौहर

अधूरा टुकड़ा

अज़मतुल्लाह ख़ाँ

उस की सोचें और उस की गुफ़्तुगू मेरी तरह

अज़ीज़ नबील

बचपने की याद

अज़ीज़ लखनवी

परतव-ए-हुस्न कहीं अंजुमन-अफ़रोज़ तो हो

अज़ीज़ लखनवी

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