है मिरा ज़ब्त-ए-जुनूँ जोश-ए-जुनूँ से बढ़ कर
नंग है मेरे लिए चाक-ए-गरेबाँ होना
Wasi Shah
Habib Jalib
Javed Akhtar
Gulzar
Anwar Masood
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(797) Peoples Rate This
चराग़ क़ौम का रौशन है अर्श पर दिल के
अज़ीज़ान-ए-वतन को ग़ुंचा ओ बर्ग ओ समर जाना
नए झगड़े निराली काविशें ईजाद करते हैं
मर्सिया गोपाल कृष्ण गोखले
जो तू कहे तो शिकायत का ज़िक्र कम कर दें
हुब्ब-ए-क़ौमी
गुनह-गारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़
एक साग़र भी इनायत न हुआ याद रहे
मिरी बे-ख़ुदी है वो बे-ख़ुदी कहीं ख़ुदी का वहम-ओ-गुमाँ नहीं
ख़ुदा ने इल्म बख़्शा है अदब अहबाब करते हैं
दर्द-ए-दिल पास-ए-वफ़ा जज़्बा-ए-ईमाँ होना