जोश Poetry (page 9)

दिल कुश्ता-ए-नज़र है महरूम-ए-गुफ़्तुगू हूँ

अज़ीज़ लखनवी

बढ़ गईं गुस्ताख़ियाँ मेरी सज़ा के साथ साथ

अज़ीज़ हैदराबादी

ख़्वाहिशें दुनिया की बार-ए-दोश-ओ-गर्दन हो गईं

औज लखनवी

चार-सू आलम-ए-इम्काँ में अँधेरा देखा

औज लखनवी

शिकायत है बहुत लेकिन गिला अच्छा नहीं लगता

अतीक़ असर

मेहमान

असरार-उल-हक़ मजाज़

ख़ाना-ब-दोश

असरार-उल-हक़ मजाज़

इंक़लाब

असरार-उल-हक़ मजाज़

ब-जवाब-ए-पंद-नामा

असरार-उल-हक़ मजाज़

लीडर की दुआ

असरार जामई

नए पैकर नए साँचे में ढलना चाहता हूँ मैं

असलम महमूद

क्या मस्तियाँ चमन में हैं जोश-ए-बहार से

असग़र गोंडवी

ये क्या कहा कि ग़म-ए-इश्क़ नागवार हुआ

असग़र गोंडवी

ये इश्क़ ने देखा है ये अक़्ल से पिन्हाँ है

असग़र गोंडवी

सामने उन के तड़प कर इस तरह फ़रियाद की

असग़र गोंडवी

रक़्स-ए-मस्ती देखते जोश-ए-तमन्ना देखते

असग़र गोंडवी

पास-ए-अदब में जोश-ए-तमन्ना लिए हुए

असग़र गोंडवी

इश्वों की है न उस निगह-ए-फ़ित्ना-ज़ा की है

असग़र गोंडवी

इश्क़ है इक कैफ़-ए-पिन्हानी मगर रंजूर है

असग़र गोंडवी

असरार-ए-इश्क़ है दिल-ए-मुज़्तर लिए हुए

असग़र गोंडवी

अक्स किस चीज़ का आईना-ए-हैरत में नहीं

असग़र गोंडवी

मख़रब-ए-कार हुई जोश में ख़ुद उजलत-ए-कार

आरज़ू लखनवी

तक़दीर पे शाकिर रह कर भी ये कौन कहे तदबीर न कर

आरज़ू लखनवी

मुझ को दिल क़िस्मत ने उस को हुस्न-ए-ग़ारत-गर दिया

आरज़ू लखनवी

मिरे जोश-ए-ग़म की है अजब कहानी

आरज़ू लखनवी

किस मस्त अदा से आँख लड़ी मतवाला बना लहरा के गिरा

आरज़ू लखनवी

करम उन का ख़ुद है बढ़ कर मिरी हद्द-ए-इल्तिजा से

आरज़ू लखनवी

जितना था सरगर्म-ए-कार उतना ही दिल नाकाम था

आरज़ू लखनवी

खुलने से एक जिस्म के सौ ऐब ढक गए

अरशद अली ख़ान क़लक़

सितम वो तुम ने किए भूले हम गिला दिल का

अरशद अली ख़ान क़लक़

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