काम Poetry (page 29)

क़सीदा तुझ से ग़ज़ल तुझ से मर्सिया तुझ से

हसन नईम

मिला न काम कोई उम्र-भर जुनूँ के सिवा

हसन नईम

ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगी

हसन नईम

ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है

हसन नईम

दिल में हो आस तो हर काम सँभल सकता है

हसन नईम

आँखों में बस रहा है अदा के बग़ैर भी

हसन नईम

मिल गया दिल निकल गया मतलब

हसन बरेलवी

अजीब हाल है सहरा-नशीं हैं घर वाले

हसन अज़ीज़

फ़िक्र-ए-मंज़िल है न नाम-ए-रहनुमा लेते हैं हम

हसन अज़ीमाबादी

छाजों बरसती बारिश के बाद

हसन अब्बास रज़ा

वर्ल्ड-बैंक

हारिस ख़लीक़

रज़िया-सुल्ताना कोरंगी, ''के'' एरिया

हारिस ख़लीक़

इल्तिजा

हारिस ख़लीक़

अली-मोहसिन एम.बी.ए, ख़ालिद-बिन-वलीद रोड

हारिस ख़लीक़

हमें भी आ पड़ा है दोस्तों से काम कुछ यानी

हरी चंद अख़्तर

शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें

हरी चंद अख़्तर

शबाब आया किसी बुत पर फ़िदा होने का वक़्त आया

हरी चंद अख़्तर

वो मद प्याले लुंढाते ही रहे बस

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

अश्कों का मिरी आँख से पैग़ाम न आए

हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'

सैद को रश्क-ए-चमन दाम ने रहने न दिया

हक़ीर जहानी

अब किस की जुस्तुजू हो तिरी जुस्तुजू के बा'द

हक़ीर जहानी

साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़

हक़ीर

भुला दिया भी अगर जाए सरसरी किया जाए

हम्माद नियाज़ी

ये चलती-फिरती सी लाशें शुमार करने को

हामिदी काश्मीरी

साहिर

हमीदा शाहीन

हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी

हामिद इलाहाबादी

सवाल दिल का शाम-ए-ग़म को और उदास कर गया

हमीद नसीम

किस वहम में असीर तिरे मुब्तला हुए

हमीद जालंधरी

छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिए

हमदम कशमीरी

कुछ बात ही थी ऐसी कि थामे जिगर गए

हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा

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