काम Poetry (page 31)

ज़िंदगी का लुत्फ़ भी आ जाएगा

हफ़ीज़ जालंधरी

ओ दिल तोड़ के जाने वाले दिल की बात बताता जा

हफ़ीज़ जालंधरी

कल ज़रूर आओगे लेकिन आज क्या करूँ

हफ़ीज़ जालंधरी

इश्क़ ने अक़्ल को दीवाना बना रक्खा है

हफ़ीज़ जालंधरी

हयात-ए-जावेदाँ वाले ने मारा

हफ़ीज़ जालंधरी

दुनिया में हैं काम बहुत

हफ़ीज़ होशियारपुरी

इक उम्र से हम तुम आश्ना हैं

हफ़ीज़ होशियारपुरी

तेज़ जब ख़ंजर-ए-बेदाद किया जाएगा

हफ़ीज़ बनारसी

मुद्दत की तिश्नगी का इनआ'म चाहता हूँ

हफ़ीज़ बनारसी

दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए

हफ़ीज़ बनारसी

दिल की आवाज़ में आवाज़ मिलाते रहिए

हफ़ीज़ बनारसी

उठने को तो उट्ठा हूँ महफ़िल से तिरी लेकिन

हादी मछलीशहरी

दर्द सा उठ के न रह जाए कहीं दिल के क़रीब

हादी मछलीशहरी

तुम्हारे गाँव से जो रास्ता निकलता है

हबीब तनवीर

कुछ और भी हैं काम हमें ऐ ग़म-ए-जानाँ

हबीब जालिब

लायल-पूर

हबीब जालिब

ये सोच कर न माइल-ए-फ़रियाद हम हुए

हबीब जालिब

उस गली के लोगों को मुँह लगा के पछताए

हबीब जालिब

फिर दिल से आ रही है सदा उस गली में चल

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

इस शहर-ए-ख़राबी में ग़म-ए-इश्क़ के मारे

हबीब जालिब

और सब भूल गए हर्फ़-ए-सदाक़त लिखना

हबीब जालिब

और सब भूल गए हर्फ़ सदाक़त लिखना

हबीब जालिब

शराब पी जान तन में आई अलम से था दिल कबाब कैसा

हबीब मूसवी

रोना इन का काम है हर दम जल जल कर मर जाना भी

हबीब मूसवी

जब शाम हुई दिल घबराया लोग उठ के बराए सैर चले

हबीब मूसवी

भला हो जिस काम में किसी का तो उस में वक़्फ़ा न कीजिएगा

हबीब मूसवी

बिछड़ो तो ये ध्यान रखना

हबीब कैफ़ी

अव्वल अव्वल जिस ने हम को भेजे थे पैग़ाम बहुत

हबीब कैफ़ी

जो काम करने हैं उस में न चाहिए ताख़ीर

हबीब अहमद सिद्दीक़ी

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