कहानी Poetry (page 2)

कश्ती

ज़ीशान साहिल

कहानी

ज़ीशान साहिल

हँसती हुई लड़की

ज़ीशान साहिल

हमारे ख़्वाब कहीं नहीं हैं

ज़ीशान साहिल

आँसू की वजह

ज़ीशान साहिल

कोई क़ुसूर नहीं मेरी ख़ुश-गुमानी का

ज़ीशान साहिल

ऐसा लगता है जैसे पूरी है

ज़ीशान साहिल

जुड़ जाएँ तसावीर तो बन जाए कहानी

ज़ीशान साजिद

थक गया एक कहानी सुनते सुनते मैं

ज़ेब ग़ौरी

जितना देखो उसे थकती नहीं आँखें वर्ना

ज़ेब ग़ौरी

ताज़ा है उस की महक रात की रानी की तरह

ज़ेब ग़ौरी

रात दमकती है रह रह कर मद्धम सी

ज़ेब ग़ौरी

मौजा-ए-ग़म में रवानी भी तो हो

ज़ेब ग़ौरी

मरने का सुख जीने की आसानी दे

ज़ेब ग़ौरी

और गुलों का काम नहीं होता कोई

ज़ेब ग़ौरी

उस ने निगाह-ए-लुत्फ़-ओ-करम बार बार की

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

उम्र गुज़री है कामरानी से

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

सभी को ख़्वाहिश-ए-तस्ख़ीर-ए-शौक़-ए-हुक्मरानी है

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

पेट की आग में बरबाद जवानी कर के

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

पलकों पे तैरते हुए महशर तमाम-शुद

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

हसीं यादें सुनहरे ख़्वाब पीछे छोड़ आए हैं

ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर

इक जैसे हैं दुख सुख सब के इक जैसी उम्मीदें

ज़करिय़ा शाज़

उतरें गहराई में तब ख़ाक से पानी आए

ज़करिय़ा शाज़

संग किसी के चलते जाएँ ध्यान किसी का रक्खें

ज़करिय़ा शाज़

सिवा है हद से अब एहसास की गिरानी भी

ज़ाहिदा ज़ैदी

साक़िया मर के उठेंगे तिरे मय-ख़ाने से

ज़हीर देहलवी

ब-ज़ाहिर यूँ तो मैं सिमटा हुआ हूँ

ज़फ़र ताबिश

जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी

ज़फ़र सहबाई

सब्ज़े से सब दश्त भरे हैं ताल भरे हैं पानी से

ज़फ़र सहबाई

जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी

ज़फ़र सहबाई

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