जब अधूरे चाँद की परछाईं पानी पर पड़ी
रौशनी इक ना-मुकम्मल सी कहानी पर पड़ी
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
Gulzar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1053) Peoples Rate This
सब्ज़े से सब दश्त भरे हैं ताल भरे हैं पानी से
गुल हैं तो आप अपनी ही ख़ुश्बू में सोचिए
बे-हिसी पर हिस्सियत की दास्ताँ लिख दीजिए
रखा है बज़्म में उस ने चराग़ कर के मुझे
ऐ हम-सफ़र ये राह-बरी का गुमान छोड़
ये क्या तहरीर पागल लिख रहा है
मैं तुम्हें फूल कहूँ तुम मुझे ख़ुश्बू देना
शब के ग़म दिन के अज़ाबों से अलग रखता हूँ
अमीर-ए-शहर इस इक बात से ख़फ़ा है बहुत
हरे पत्तो सुनहरी धूप की क़ुर्बत में ख़ुश रहना